Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 472
________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार पद्य (१८) मोहनविजय वि. १७६० वि. १८मी :१०३००: नलायनउद्वाररास अपर्ण श्रेष्ठ कागज अपूर्ण., (९.२-९.५४४.२) नलायनउद्धाररास :१०३०४ : वैराग्यसज्झाय कागज वि. १८१६ (९.२४४.२) नयसुन्दर. मध्यम रङ्गविजय मध्यम. विनयविजय .१०३०५. शत्रुञ्जयमण्डन ऋषभदेवविनती कागज मारुगूर्जर अपूर्ण मारुगूर्जर.. संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण : मारुगुर्जर संपूर्ण मारुगूर्जर संपूर्ण मारुगूजेर संपूर्ण ............वि. १९मी.....३. (९४४:२.................. गा.५८ १०३०७:भक्तामरस्तोत्र रागमाला श्रेष्ठ कागज वि. १८८० (८.५४४.२) :-दवविजय वि.१७३० :१०३०८। रमलशास्त्र कागज वि. १९मी पत्र ५६-५७ भेगा छे.. (७.७४४.५) १०३०९ आचारागसूत्र मध्यम कागज वि. १६मी ग्रन्थान-२५५४. प्रतिना वचमानां बधां पानां एक बाजुथी खवाई गयां छे., (१३.५४५.२) सयक्तप+ग सुधर्मास्वामी जीर्ण ग्र.२६४४ सूय में आउसं तेणं कागजवि . १५६७९२ १०३१०: ज्ञाताधर्मकथागसूत्र संपूर्ण : (९३) प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे., (१३.५४५.२) ग्रं. ५००० तेणं कालेणं तेणं सुधर्मास्वामी मध्यम प्रा. संपूर्ण १०३११: ज्ञाताधर्मकथागसूत्र कागज वि. १५४९ ३६ (४७) प्रतिना अंतमा २१ श्लोकनी विस्तृत प्रशस्ति छे.. ग्रे. ५००० तेणं कालेणं तेणं १०३१२ उपासकदशाङ्गसूत्र सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी संपूर्ण वि. १मी कागज ग्रं.८१२ २३ तेणं कालेणं तेणं प्रा. (१३.५४५) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां 'सप्तमाग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. गाथा-६०६..(१३.५४५.२ १०३१३: उत्तराध्ययनसत्रनियंक्ति संपर्ण कागज .............वि. १६मी. उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति भद्रबाहस्वामी गा. ५९६ ग्र.६०७............ जीर्ण कागज प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छ...(१३.५४५).. :१०३१४ : वृहत्कल्पसूत्र बृहत कल्पसूत्र १०३१५ वृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य वृत्तिसहित प्रथमखण्ड णो कप्पड णिग्गनशाण ........... वि. १६मी .. अध्याय ६उद्दे..... वि. १५०८ भद्रबाहस्वामी जीर्ण प्रतिपर्ण कागज २०७ प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे., (१३.५४५.२) 455

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