Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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स्थिति
पूर्णता
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
कर्ता
सं.
कर्मग्रन्थषटक-अवचूरि १०३२९ सग्रहणीप्रकरण वृत्तिसहित
सङग्रहणीप्रकरण
सड़ग्रहणीप्रकरण-टीका १०३३० बोलविचार
संपूर्ण
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल
डीवीडी (डीवीडी- पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति प्रकार ग्रं.३१०० वि. १४५९
गद्य कागज वि.१५मी
(४०) ...(१३४५)... गा.२७३.
निमिउं अरहन्ताइ लिइभव पद्य. ग्र.३५००
: अत्यद्भुतं योगिभि गद्य कागज वि. १६मी
(१३४५.५).
गुणरलसूरि मध्यम श्रीचन्द्रसूरि मलधारि देवभद्रसूरि जीर्ण
संपूर्ण
मारुगूर्जर
१०३३१ उपदेशरहस्यषट्त्रिशिका
जीर्ण
संपूर्ण
कागज
वि.१६मी
पाचन्द्र
मारुगूर्जर
:१०३३२ वसुधारा..
मध्यम
संपूर्ण
वि. १६मी...
(१३.५४५:२१ दण्डकछन्दोमयी (१३४५.५).
:१०३३३: सारस्वतव्याकरण
मध्यम
संपूर्ण
कागज
...वि. १६मी.
१५
अनुभूतिस्वरुप जीर्ण कालिदास
संपूर्ण
कागज
वि.१७मी
। १०३३४ रघुवंशकाव्य टिप्पणीसहित
रघुवंशमहाकाव्य
(१३४५.५)
६२-१(१)-६१ वागथोविव सम्पृक्ती
(६२) पद्य
रघुवंशमहाकाव्य-टिप्पण १०३३५ : सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित
सं.
गद्य
जीर्ण
: कागज
वि. १६मी
:३७
:(३८)
प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे., (१२.५४५) गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे
सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण
जिनवल्लभ
गा. १६४
सयलन्तरायवीरं वन्दिय पद्य
ग्रं.३७००
वि.११०१
गद्य
सूचीपत्रोमां बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे.
सुक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति
चक्रेश्वरसूरि.
धनेश्वरसूरि १०३३६ : लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसहित: मध्यम लघुक्षत्रसमासप्रकरण
रलशेखरसुरि
कागजवि . १६मी
:(४१)
(१२४५.२)
गा.२६२
पद्य
टिप्पणी युक्त
वीरं जयसेहरय पट्ठि
दयासिह
मारुगुर्जर
लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-बालावबोध १०३३७ : विपाकसूत्र
मध्यम
संपर्ण
कागज
... वि. १५मी.
(१२.५४४.७)
सुधर्मास्वामी
तेणं कालेणं तेणं
१०३३८ बारव्रतालापकादि
मध्यम
मंपण
वि. १५मी ...
(१२.५४४.७)

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