Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 452
________________ ग्रंथांक स्थिति प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य संपूर्ण ... कागज । वि. १६मी... ३९४ प्रा. श्लोक २८००० णमिऊण रहन्ताणं सिद्ध ग्रं. १७८८४ श्लोक ११०० : वि. ११५४ प्रणम्य वीरं सुरवन्द क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (३०५) १००५३ : निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि (पे.१) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णि जीर्ण :जिनदास गणि (१३.५४५.२) (पे.पृ. १-३७९) : पद्य क्षमाश्रमण श्रीचन्द्रसूरि : पद्य (पं.पू. ३७९-३९४) (पे.२) निशीथसूत्र-विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशकव्याख्या १००५४ महानिशीथसूत्र मध्यम संपूर्ण कागज वि. १५७२ ६० (६०) ग्रन्थान-४५०४. प्रथम पत्रमा समवसरण सुन्दर चित्र छे..(१३.५४५.२) :अध्ययन-८ प्रा. अध्याय ८ ग्रं. ॐनमो तित्थस्स.... १००५५: जीतकल्पसूत्र संपूर्ण कागज :वि. इमा गा. १०५ ग्रं. १३० प्रा. कयपवयणप्पणामोवोच्छे जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण गाथा-१०६..(१३.५४५.२)... हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने आवकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. गाथा-२७०८..(१३.५४५.२) संपूर्ण कागज ....... वि. १६मी... ५०.... :149) गा.२७१८ संपणं कागज ....... वि. १६मी. १८ ग्रन्थान-१३००.. (१३.५४५.२).. ग्र.११०० सिद्धत्थसिद्धसासण . १००५६: जीतकल्पसूत्र भाष्य :जीतकल्पसूत्र-भाष्य १००५७ जीतकल्पसूत्र चूर्णि जीर्ण जीतकल्पसूत्र-चूर्णी सिद्धसेनसूरि १००५८ जीतकल्पसूत्र चूर्णि विषमपदव्याख्या... स्या जीर्ण जीतकल्पसूत्रनी चूर्णी- टिप्पनक... श्रीचन्द्रसुरि जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित :श्रेष्ठ जीतकल्पसूत्र जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण संपूर्ण 190 कागज .......... वि. १६मी ग्र.११२० वि. १२२७ कागज (२८) गद्य (१८) गद्य (२७) पद्य नत्वा श्रीमन्महावीर :१००५९ संपूर्ण प्रा. ......... वि.१६मी गा. १०५ ग्रं. १३० कयपवयणप्पणामो वोच्छं (१३.५४५.२). हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर । अस्पष्टताओ रहेल छे. :तिलकसूरि ........ गद्य जीतकल्पसूत्र-वृत्ति १००६०: नव्ययतिजीतकल्पसूत्र यतिजीतकल्पसूत्र नव्य मध्यम संपूर्ण अं.१८००............वि. १२७४...... वन्दे वीरं तपोवीरें कागज .......... वि. १६मी ८ गा.३३३ कयपवयणप्पणामो बुच्छ सोमसूरि पद्य (१३.५४५.२) जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित प्रथम २३ गाथाओ जीतकल्पनी सरखी. (१३.५४५.२). जीतकल्प, निशीथसूत्र आदिना आधारे निर्मित ... १००६१. नव्ययतिजीतकल्पसूत्र विवृतिसहित...... मध्यम. यतिजीतकल्पसूत्र नव्य सोमसूरि संपूर्ण .... प्रा. कागज...........: वि. १५७०..... (७९) गा.३३३ कयपवयणप्पणामो वुच्छं: पद्य 435

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