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ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
(पे.३) योगसार
सं.
श्लोक २०६
पद्य
(पे.पृ.३-५) पे.वि. : गाथा-२०४. [कृ.वि. सकलसुखनिवहदानाय. (९.७४४.२) .....
संपूर्ण
वि. १८मी
यशोविजयजी गणिसं
अध्याय ३२
ऐन्द्रश्रीसुखमग्नेन
:३२ अष्टक.
७८६३ : ज्ञानसार टिप्पणीसहित
ज्ञानसार अष्टक ज्ञानसार अष्टक-टिप्पण शिक्षाशतकप्रकरण शिक्षाशतक शाम्बपञ्चाशिका सटीक
जीण
संपूर्ण
कागज
(१०.२४४.५)
वि.१५४१४ वि. १६मी केवल अप्पसरूवं
गा, १००
संपूर्ण
कागज
..वि. १६मी....
शाम्बपञ्चाशिका
शाम्ब साध
श्लोक ५३
७८९२
PA
कागज
वि.१६मी
(१०.५४४.५)
धर्मदास गणि
गा.५४४
नमिऊण जिणवरिन्दे
गाथा ५४० थी ५४६ मळे छे.
संपूर्ण
कागज
वि. १७मी
गाथा-२५.,(१०.२४४.५)
शाम्बपञ्चाशिका-टीका उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि
जीर्ण किञ्चिदपूर्ण उपदेशमाला उपदेशमालाप्रकरण-अवचूरि उपदेशरत्नकोश-उपदेशरत्नमाला मध्यम सावचूरि पञ्चपाठ. उपदेशरत्नकोष ..
जिनेश्वरसूरि उपदेशरलकोष-अवचूरि ७९३० श्राद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसदुत्तर मध्यम
वीजकसहित
आद्धविधिविनिश्चय-अञ्चलमतसद्उत्तर हर्षभूषण, ७९३१ वासोन्तिकवितण्डाविडम्बनाप्रकरण मध्यम
गा.२६
उवएसरयणकोसं नासिय
संपूर्ण
कागज
वि. १६मी
(१०.२४४.५)
ग्रं. १२८३............वि. १४८०..
वि. १७मी ।
संपूर्ण
कागज
(१०.२४४.५)
गुणरत्नसूरि
साध-श्रावकसामाचारी
संपर्ण
: वि. १६२५...:१६
आयारमयं वीर
प्रति शुद्ध छे...(१०:२४४.५)..
साधावकसामाचारी
प्रा.सं
विनयभुजङ्गमयूरी
मध्यम
:सपण
- वि. १७मी
(१०x४.५)
अमृतसागर गणि
श्रेष्ठ
संपण
वि. १६मी
(१०.२४४.२)
सङ्घपट्टकप्रकरण तथा आत्मनिन्दाष्टक
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