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ग्रंथांक
३९१-१
३९१-२
३९१-३
३९१-४
प्रत नाम
(पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम
आठ दृष्टि स्वाध्याय
1. (पे. 9).
(पे. २) सम्यक्त्व चोपई
काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३ उल्लास आदि
(पे. १) काव्यप्रकाश सह टीका २ से ३
उल्लास
काव्यप्रकाश
काव्यप्रकाश टीका
(पे. २) अन्यथाख्यातिवाद
(पे.३) सडसठ बोल समकित स्वाध्याय आर्षभीयचरित महाकाव्य अपूर्ण
स्थिति
कर्ता
(पे. 9) आठ दृष्टि स्वाध्याय (पे. २) सम्यक्त्व चोपई
राजशेखर
श्रेष्ठ
मध्यम
(तालाद) लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर अमदावाद पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष
प्रत प्रकार
रचना वर्ष
आर्षभीयचरित्रमहाकाव्य
आठ दृष्टि स्वाध्याय व सम्यक्त्व चतुष्पदिका श्रेष्ठ
भाषा
यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर यशोविजयजी गणिमारुगूर्जर
प्रतिपूर्ण
सं.
संपूर्ण
मम्मट, अलक सं. यशोविजयजी गणि सं. जयराम भट्टाचार्य सं. यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर श्रेष्ठ अपूर्ण
सं.
संपूर्ण
यशोविजयजी गणिमारुगुर्जर यशोविजयजी गणि मारुगुर्जर
परिमाण
ताडपत्र
गा. १२५
हस्तप्रत
गा. ६५
हस्तप्रत
हस्तप्रत
गा. १२५
272
वि. १८वी
-
पत्र
आदिवाक्य
द्विगुणो यद्यवलंवकः
४
२५
नियतिकृतिनियमरहितां
१६
११-३ (५ थी ७) =८
क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र)
कृति प्रकार
९४/९६ (८)
पद्य पद्य
९४ / ९६ (२९)
गद्य
गद्य
पय
९४/९६ (१७)
पद्य
९४/९६ (४)
पद्य
पद्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
महादुर
महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित लिपिवाली प्रति (पे. पृ. १B-४A)
(पे. पृ. ४,A-७A) पे.वि. त्रुटक. गाथा- ५१ तक नहीं है.
(जुनो नं. ३३६६५) महोपाध्याय श्री
यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित प्रति / प्रत नं. ३९१-A वाली प्रत वस्तुतः ३४६ नं. की है अतः ३९१-A को ३४६ नं. पर रख दिया
गया है. इसका पुराना नं. २७६१३.
(पे. पृ. ७-३६) पे.वि. पत्र १ थी ५,१४,१५,२० थी २२ नथी.
(पे.पृ. १-३),
(पे.पृ. १-३) पे.वि. पत्रांक-२ नहीं है.
( जुनो नं. ४३१०४ ) सर्ग-४ श्लोक-१६६ तक है.
(जुनो नं. ४३०७७) दो प्रतों को एक साथ रखा गया है जो दोनो अलग-अलग पेटांक रूप में है. / पेटांक-१ के पत्र ४ तथा पेटांक -२ के 19 पत्र है. दोनो पेटांक के पत्र को क्रमशः गिना गया है.
(पे. पृ. १-४)
(पे. पृ. ७-११) पे.वि. पत्र ५ से ७ नहीं है.