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ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पातासंघवीजीर्ण)पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार संघवी पाडाना जीर्ण, त्रुटक अने चोंटेला भंडार स्थिति
पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
क्लिन/ओरिजिनल प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल
डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता 'মাদা परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
झे.पत्र/झे.पत्र)
। कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कति प्रकार
आसङ
गा.१४४
। वि. १२८८
पद्य
सिद्धिपुर सत्थवाहं सारस्सयमाइच्चा विण्ह ।
गा.३५५
(ये.११) विवेकमञ्जरीप्रकरण (ये.१२) प्रवचनसन्दोह (ये.१३) योगशास्त्र४ प्रकाश...... योगशास्त्र (ये.१४) दर्शनशुद्धिप्रकरण सड़ग्रहणी आदि
(प.पू. ११४-१२५) (प.पू. १२५-१४६) (प.पू. १७६-१८९)..
:अध्याय १२प्रका
हेमचन्द्रसूरि चन्द्रप्रभसूरि जीर्ण
प्रा.
नमो दुर्वाररागादिवैर पत्तभवन्नवतीरं दुहदव...... पद्य १९५-४६(१थी ४६)=१४९५७/६०(८०)
४६
अपूर्ण
ताडपत्र
वि. १२८६
(पे.पृ. १७६-१८९) (जुनो नं.२८१)पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः ११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. लेखन स्थल : अणहिल्लपुर, (पे. पृ. ४७-८१) पे.वि. : पूर्ण. गाथा-५२७. प्रक्षेप गाथा के साथ. झेरोक्ष पत्र-९-२६. मात्र ताडपत्रीय पत्र ८० नहीं है. टिप्पणयुक्त विशेषपाठ.
(4.9) बृहत्संग्रहणीप्रकरण
सङ्ग्रहणीप्रकरण
गा.३६७
:निट्ठवियअट्ठकम्म
जिनभद्र गणिप्रा . क्षमाश्रमण
:(पे.२) भक्तपरिन्ना प्रकीर्णक
(पे. पृ. 999-२२७) पे.वि. : गाथा-१७१./अपूर्ण. पत्र ११७-२२७ के बीच दूसरी और भी कृतियाँ है. ताडपत्रीय पत्रक्रम अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र
२५-८०
भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक
गा. १७२ ग्रं.
नमिऊण महाइसयं महाणु
कृ.वि. : गाथा १७१थी १७३ सुधी मळे छे.
(पे.३)] आगमिकवस्तुसुक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण
(पे.पृ. १२०-१२४) पे.वि. : ताडपत्रीय पत्र ८११२४ तथा झेरोक्ष पत्र-२६-३५. बीच में दूसरी भी कृतियां हैं.. कृ.वि. : गाथा १०४ सुधी मळे छे.
प्रा.
निच्छिन्नमोहपासं
आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन :जिनवल्लभ चतुर्थ कर्मग्रन्थ षडशीति