________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हरीतक्यादिनिघंटे
अथ लवंगनामगुणाः. लवंगं देवकुसुमं श्रीसंज्ञं श्रीप्रसूनकम् ॥ ५७ ॥ लवंगं कटुकं तिक्तं लघु नेत्रहितं हिमम् । दीपनं पाचनं रुज्यं कफपित्तास्त्रनाशकृत् ॥ ५८॥ तृष्णां छर्दि तथाध्मानं शूलमाशु विनाशयेत् ।
कासं श्वासं च हिकां च क्षयं क्षपयति ध्रुवम् ॥ ५९॥ टीका-लवंग १, देवकुसुम २, श्रीसंज्ञ३, श्रीप्रमूनक ४, ॥ ५७ ॥ ये लोंगके चार नाम हैं. और लोंग कडवी, तिक्त, हलकी, नेत्रोंको हितकारी, शीतल, दीपन, पाचन, तथा रुचिके देनेवाली, और कफ, रक्तपित्त, इनको हरनेवाली है ॥ ५८ ॥ और प्यास, वमन, तथा अफरा, तथा शूल, इनकी हारक है और कास, श्वास, हिचकी, तथा क्षय इनकोभी शीघ्र हरती है ॥ ५९॥
अथ स्थूलैला(बडी इलायची)नामगुणाः. एला स्थूला च बहुला पृथ्वीका त्रिपुटापि च । भदैला बृहदेला च चंद्रवाला च निष्कुटिः॥६०॥ स्थूलैला कटुका पाके रसे चानलकल्लघुः । रूक्षोष्णा श्लेष्मपित्तास्त्रकण्डूश्वासतृषापहा ॥ ६१॥
हृल्लासविषवस्त्यास्यशिरोरुग्वमिकासनुत् । टीका-एला १, स्थूला २, बहुला ३, पृथ्वीका ४, त्रिपुटा ५, भद्रेला ६, बृहदेला ७, चंद्रवाला ८, निष्कुटी ९, ये बडी इलायचीके नव नाम हैं ॥६०॥ ये पाक और रसमें कडवी है, अग्निकों दीप्त करती है, और हलकी, रूखी, गरम है, कफ, रक्त, पित्त, तथा खुजली, श्वास, तृषा, इनकी हारक है ॥ ६१ ॥ और ह. ल्लास, विष तथा पेडू, मुष और शिर इनकी पीडाकों हरती है, तथा वमन और श्वास इनकोंभी हरती है.
अथ सूक्ष्मैला(गुजराती इलायची)नामगुणाः. सूक्ष्मोपकुंचिका तुत्था कोरंगी द्राविडी त्रुटिः ॥६२॥ एला सूक्ष्मा कफश्वासकासार्शोमूत्रकृच्छ्रहृत् ।
For Private and Personal Use Only