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हरीतक्यादिनिघंटे
तीक्ष्णो द्यो हिमो हन्ति कुष्ठकण्डूकफानिलान् ॥ ११२ ॥ रक्षः श्रीस्वेदमेदोस्त्रज्वरागन्धविषव्रणान् ।
टीका -- करोंदेकी किस्मसें भटेहर एक द्रव्य नेपालदेशमें उत्पन्न होता है उसकेनाम ये हैं. निशाचर १, धनहर, कितव, गणहालक ये भटेउरके नाम हैं ॥ १११ ॥ ये रुचिके करनेवाला होता है, मधुर, और तिक्त, तथा पाकमें कडवा, हलका है, और तीक्ष्ण है, हृदयकों प्रिय है, और शीतल होता है, तथा कुष्ठ, कण्डू, कफ, और बात, इनकों हरनेवाला है ॥ ११२ ॥ और राक्षस, कांति, पसीना, मेद, रक्तज्वर, गंध, विष, व्रण, इनकाभी हरनेवाला है.
अथ तालीसपत्रनामगुणाः.
तालीसमुक्तं पत्राढ्यं धातृपत्रं च तत्स्मृतम् ॥ ११३॥ तालीसं लघुतीक्ष्णोष्णं श्वासकासकफानिलान् । निहन्त्यरुचिगुल्मादिवह्निमान्द्यक्षयामयान् ॥ ११४॥
टीका - तालीस, पत्राढ्य, धात्रीपत्रु ये नाग हैं ॥ ११३ ॥ ये हलका, तीखा, गरम, है. श्वास, कास, वात, इनको हरनेवाला है; अरुचि, गुल्म, अग्निमांद्य, और क्षयरोग, इनकों भी जीतनेवाला है ॥ ११४ ॥
अथ कंकोलनामगुणाः.
कङ्कलं कोलकं तथा कोशफलं स्मृतम् ।
कङ्कलं लघु तीक्ष्णोष्णं तिक्तं हृद्यं रुचिप्रदम् ॥ ११५ ॥ ॥ आस्य दौर्गन्ध्यहृद्रोग कफवातामयान्ध्यहृत् ।
टीका - कंकोल, कोलक कोशफल, ये नाम हैं. कंकोल हलका और तीखा, गरम, तथा तिक्त, हृदयका प्रिय, और रुचिकों देनेवाला है ॥ ११५ ॥ मुखकी दुर्गता तथा हृदयरोग, कफ, वात, और आध्मान इनको हरनेवाला है. इसकों सीतलचीनी भी कहते हैं.
अथ गन्धकोकिलानामगुणाः.
स्निग्धोष्णा कफहत्तिका सुगन्धा गंधकोकिला ॥ ११६ ॥ गन्धकोकिलया तुल्या विज्ञेया गन्धमालती ।
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