________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
८६
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हरीतक्यादिनिघंटे
अरोचकप्रसेकार्शः कासश्वासनिवारणम् ॥ ७१ ॥ रक्तार्कपुष्पं मधुरं सतिक्तं कुष्ठकृमिघ्नं कफनाशनं च । अशविषं हन्ति च रक्तपित्तं संग्राहि गुल्मे श्वयथौ हितं तत् ७२ क्षीरमर्कस्य तिक्तोष्णं स्त्रिग्धं सलवणं लघु । कुष्ठगुल्मोदरहरं श्रेष्ठमेतद्विरेचनम् ॥ ७३ ॥
टीका - अलर्क, गुणरूप, मंदार, वसु, श्वेतपुष्प, सदापुष्प, सबालार्क, प्रतीपस, ये सफेद आक के नाम हैं ॥ ६८ ॥ दूसरा लाल आक इसके सूर्यके से नाम हैं. और अर्कफल, विकीर्ण, रक्तपुष्प, शुक्लफल, तथा स्फोट, ये लाल आकके नाम हैं ॥ ६९ ॥ दोनों आक सर हैं, वात, कुष्ठ, कण्डू, घाव, विष, इनकों हरनेवाला है, और प्लीह, वायगोला, ववासीर, कफ, उदरमल, कृमि इनकाभी हरनेवाला है ॥ ७० ॥ और आकका फूल, धातुकों बढानेवाला, और हलका, दीपन, पाचन है, और अरुचि, स्वेद, ववासीर, कास, श्वास, इनका, दूरकरनेवाला है || ७१ || लाल आकका फूल मधुर, और, तिक्त, होता है. और कुष्ठ कृमि, इनका हरनेवाला है, और कफकाभी हरनेवाला है, ववासीर, विष, इनका नाशक है, और रक्त पित्तका नाशक है, और काविज, तथा वायगोला, सूज - नकोंभी हित है ॥ ७२ ॥ और आकका दूध तिक्त, गरम, चिकना, लवणकेसहित होता है, हलका है. तथा कुष्ठ, गुल्म, उदर, इनका नाशक है, और ये श्रेष्ठ रेचन है ॥ ७३ ॥
अथ सेहुण्डनामगुणाः.
हुण्डः सिंहतुण्डः स्यादजी वज्रद्रुमोऽपि च ।
सुधा सुमन्तदुग्धा च स्स्रुक् स्त्रियां स्यात् स्रुही गुङा ॥७४॥ हुण्डो रेचनस्तीक्ष्णो दीपनः कटुको गुरुः । शूलमष्ठीलिकाध्मानक फगुल्मोदरानिलान् ॥ ७५ ॥ उन्मादमोहकुष्ठार्शः शोथमेदोऽश्मपण्डुताः । व्रणशोथज्वरप्लीहविषदूर्वाविषं हरेत् ॥ ७६ ॥ उष्णवीर्यं स्रुही क्षीरं स्निग्धं च कटुकं लघु ।
For Private and Personal Use Only