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हरीतक्यादिनिघंटे
और शुक्रकों करनेवाली तथा रक्तपित्तकों हरनेवाली है और बलकों देनेवाली है रुचिकों करनेवाली पथ्य पुष्ट तथा तृप्तिकों करनेवाली है ॥ ९ ॥ सुफेद मरसा और सालमरसा नवडा इसप्रकारभी कहते हैं मारिष वृष्यक मार्ष यह मरसेके नाम हैं। वोह लाल और सफेद कहा है मरसा मधुर शीतल विष्टंभ करनेवाला पित्तकों हरता भारी है ॥ १० ॥ वातकफकों करनेवाला रक्तपित्तकों हरता विषम अग्निकों हरनेवाला है लाल मरसा बहुत भारी नहीं होता और क्षीरके सहित मधुर सर होताहै ॥ ११॥ और कफकों करनेवाला पाकमें कटु और अल्पदोष करनेवाला कहा है ॥
अथ तण्डुलीय तथा पलक्यानामगुणाः.
तण्डुलीयो मेघनादः काण्डेरस्तण्डुलेरकः ॥ १२ ॥ भण्डीरस्तण्डुलीबीजो विषघ्नश्चाल्पमारिषः । तण्डुलीयो लघुः शीतो रूक्षः पित्तकफास्रजित् ॥ १३ ॥ सृष्टमूत्रमलो रुच्यो दीपनो विषहारकः । पानीयं तण्डुलीयं तु कचटं समुदाहृतम् ॥ १४॥ कचटं तितकं रक्तपित्तानिलहरं लघु । पलक्या वास्तुकाकाराच्छुरिका चीरितच्छदा ॥ १५॥ पलक्या वातला शीता श्लेष्मला भेदिनी गुरुः । विष्टम्भिनी मदश्वासपित्तरक्तकफापहा ॥ १६॥
टीका - छोटा मरुसा इसप्रकार कहते हैं तंडुलीय मेघनाद काण्डेर तंडुलेरक मंडीर तंडुलीवीज विपन अल्पमारिष येह चवराईके नामहैं । १२ ॥ चवराई हलकी शीतल रूखी पित्त कफ रक्त इनकों हरनेवाली है और मल मूत्रकों करनेवाली रुचिकों करनेवाली दीपन विषहरती है ॥ १३ ॥ दूसरे किस्मकी चवराई पनियाचवराई शास्त्रमें कट इसनामसें प्रसिद्ध है पानीय तंडुलीयक कचट इसप्रकार कहा है पनीया चवराई तिक्त रक्त पित्त और वात इनकों हरती हलकी होती है ॥ १४ ॥ पलक्या वास्तुकाकारा अर्थात् वथुवेकीसी च्छुरिका चीरितच्छदा यह पालकके नामहैं पालक वातकों करनेवाला शीतल कफकों करनेवाला भेदन भारी है ॥ १५ ॥ और विष्टम्भकों करनेवाला तथा मद श्वास पित्त रक्त कफ इनकों हरता है || १६॥
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