Book Title: Dharmshiksha Prakaranam
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 27
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org धर्म शिक्षा प्रकरण - वृत्ति सहित, अन्तिम पृष्ठ: ( ६४A एवं ६४B ) खतमनिशेत सद्यः किमितान तनाव मितिवहित पदेन मेधाकिया विशेषणाचेननतश्च समासंध व वं नादरमतसिमशतत विशिष्टादितिभावः ॥ थघाघानि यासारखा कि वर्जित ज्ञाप गुण-सावेपिएच्या नदि सर्वगुणिअभगत समयमा सार कारणमिति विप्रतिपादमा वंदीन जमादा पुरुष किमिवारता कथितकीशः सत्रित्या साजना (यो धर्मादिना । वरयासत र केवल कथा शिवमोहनदेव भिरंताप्रमोद दायिताः सनत कर मुले कालीन दितरस्य विधिद्यान संपादकानाम्वसामान् यः सशालाशय जिवन पिपराघ हो पचादिजया केवलज्ञाने पादे विंशदविश यो पाकर आसावकरक्य वादिकमित्र का शंस दितिजन शेघा तरामुरमुरे प्रधानासु तामानकरला या कयामित्याि वेतन पधानातिएर प्रधाननथथथाऽद्यमिति देव धायाः फलमवधार्यत व सादरं विनमित्यपदेशइति ४० चकमितिप्रतिवन्यासमा पिण्ड कंवल नामा कञ्चाने गलि जिनवल्लववन मदावा विशेषण (पतोराश्रमनिवत भूविदितशिक्षा करण मिति नामासुवाग्देवतायान मधु श्रीमतिनातिविरणिय हो कृति रायनवद्या रचिता सिता या स्पञ्चा लिया धर्म का निर्व उद्धाटिकालाई मजिनमद हतवासमुरिं सुरयदिद्यावा शुद्धता स्थान र रसः । श्रायेषा वर्धमानाः चामनिवासी निजऊला किसान नजः प्रगर्जा शाकाद्य विनाशक्रियाभिः । नातात कादित्र प्रणयन यातः सिद्धांताप्रदीप वन लीलम जिनिस तव शारदीय लडतिशय त्रादिमनिरुपन जिनवरिन्योनांग निनिदानय देवररिंगः नतोऽज्ञ निधाजिना सायपिविद्यानिताशियाना परमात नितांतंय कीर्तिमानादिकरण लघुशतानिः शिवदति निजिनः त्रिदुशितकालय:मन (राजगज सिंहोदय शिष्टाः प्रसिद्ध अिग निजिनवधः शिक्षण नियतिरितिज्ञरित्रहिने यावतंसः समवरितयेत् प्रोलानि पत्रानिवदनानिप्रावादी वृंद मिज विजयसाचे रंगरे शाहचालको नातापिप्रति किंचन धर्म शिक्षा वा जनपालनिदेशतः अरिजिनिया मोन्स्वा चांसद सिस्वय। मावा के दिदपि विनापूर्वस्यासं वाषवन्यसाधाয়ना नयंति॥थाख्यातंय किमया युके मायान्मते मया । शोधनीटां वित्रोपाध्याय गानविधीयमानासविद्येरियशतिर्निरंत राधास्वराजिता वा श्वरवादा श्रीहरू तरतरी ΣΚΑ श्री ५६॥६॥ मासु दिदा नरे श्रीजेसल मे कमाये श्री जिन माणिक्यन्तु निविज विराजेश्री म श्री सागरच 2:11 शिक्षा देवाद्रनाबार्ड व महराजगरन्नदाण्यासागरंग पिशिषश्वर दा०ज्ञान मंदिरगणीनां शिष्यशिरोमणिश्रीदेव लकेने विजय राजमु] निधन यस मुगा मंदिर का दिशि पसु परिवार सहितैः श्रीधर्मशिक्षा प्रके रतावा मानादिरंनंद ॥श्रीरः॥

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