Book Title: Dharmshiksha Prakaranam
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 127
________________ धर्मशिक्षा-प्रकरणं सवृत्तिकम् [पुष्पिका] ॥ ९०॥ संवत् १६०० वर्षे माघ सुदि ७ वासरे श्रीजेसलमेरुमहादुर्गे श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिविजयिराज्ये श्रीमच्छ्रीसागरचन्द्रसूरिसूरीश्वरान्वये वाचनाचार्यवर्यमहिमराजगणि तत् शिष्यरत्न वा० दयासागरगणि-शिष्यप्रवर वा० ज्ञानमन्दिरगणीनां शिष्यशिरोमणि श्रीदेवतिलकोपाध्यायैः पं० विजयराजमुनि पं० नयसमुद्रगणि पं० पद्ममन्दिरक्षुल्लकादिशिष्यसुपरिवारसहितैः श्रीधर्मशिक्षाप्रकरणवृत्तिर्गृहीता वाच्यमाना चिरं नन्दतु॥ श्रीरस्तु॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142