Book Title: Dharmshiksha Prakaranam
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 140
________________ शुद्धिपत्रक पृष्ठ पंक्ति० अशुद्ध श्री जिवल्लभ प्रथम श्री जिनवल्लभ द्वितीय द्वितीय चन्दलबाला ३८०००७० बूहद्वत्तौ चन्दनबाला ३८०००७ बृहद्वृत्तौ चतुर्थ आमुखम् प्रशिष्या शिष्या प्रस्तावना विरुद °सुन्दोपा चकाष्टक °मिदम बिरुद सुन्दरोपा चक्राष्टक °मिदम् द्वारा अन्तिम श्लोक भी थे। द्वारा श्लोक भी। °च्यूट °ट्यूट आगमज्ञ आग्मज्ञ सिद्धि-मनोहर-भुवन सिद्धि-भुवनमनोहर यह यह सिद्धि-मनोहर-भुवन यह सिद्धि-भुवनमनोहर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 138 139 140 141 142