Book Title: Dharm Deshna Author(s): Vijaydharmsuri Publisher: Yashovijay Jain Granthmala View full book textPage 8
________________ 425 प्रकरण तीसरा। ( 367 से 494) 1 उपक्रम 357 / 2 शरीर की सार्थकता 415 2 मोह प्रपञ्च ____359 3 अस्थिरता 415 1 मोह के भिन्नभिन्न 4 अपवित्रता स्वरूप 359 5 एकत्व भावना 431 3 वैराग्य वृद्धि के कारण 265 5 दुःखमय संसार 435 1 मानसिक बलादि 365 1 नरकगति के दुःख 437 2 कषाय का त्याग 269 2 तिर्यंचगति के दुःख 443 3 मोहादि का त्याग 373 | 3 मनुष्यगति के दुःख 452 4 शरीर की दुर्जनता 383 / 4 देवगति के दुःख 461 5 संसार की स्वार्थपरता 387 6 आस्रव विचार 4 मानवजन्म की दुर्लभता 403 1 बंध-हेतु 1 दश दृष्टान्त 405 6 व्रत की श्रेष्ठता 486 चतुर्थ प्रकरण ( 495 से 550) 1 मार्गानुसारी के गुण 495 3 तीसरा गुण 507 / 1 प्रथमगुण 497 4 चौथा गुण 510 2 दूसरा गुण 506 / 5 पांचवाँ गुणPage Navigation
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