Book Title: Dharm Deshna Author(s): Vijaydharmsuri Publisher: Yashovijay Jain Granthmala View full book textPage 7
________________ (8) 3 सम्यग्ज्ञानकी आवश्यकता 181 / 2 निष्कपटभाव 279 4 तप-विधान 1883 अगोचर स्त्री चरित्र 289 5 नंदनऋषि का दृष्टान्त 1914 क्रिया की जरुरत 30.. 6 अनुकूल उपसर्ग 198 5 विषय-इच्छा का त्याग३०३ 7 धर्म में दृढता 2056 नास्तिक के वचन 309 8 पंडित कौन होता है ? 211 / 7 नास्तिक के वचनों कार 9 मुनियों की महिमा 216 निगकरण 314 10 मदादि का त्याग . 220 8 जीव, कर्म अकेला ही 11 सच्चा धर्मात्मा कौन हो भोगता है। 328 सकता है ? 229 14 दशावतार का वर्णन 344 12 खास साधुओंकोउपदेश२३४ / 1 प्रथम अवतार 344 1 मूर्छा का त्याग 234 2 दूसरा और तीसरा 2 एकाकी रहना 238 अवतार 3 जिनकल्पी साधुओं का 3 चौथा अवतार आचार 4 पांचवाँ अवतार 4 स्त्री आदिके संसर्ग का 5 छठा अवतार 347 त्याग 6 सातवाँ अवतार 5 वचनशुद्धि 7 आठवाँ और नवाँ 6 अज्ञानजन्यप्रवृत्ति 264 अवतार 348 13 विशुद्ध मार्ग सेवन 27 8 दशवाँ अवतार 348 1 विषयत्याग . 272 / 348 .. ..Page Navigation
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