Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir - किमत्यंशाप्तसो नो एवं चिंतेयवनबइ थंतराइ बजालेखलाधजीविए इमेयबहवेवाईयपित्ति शसिंनियसंनिवा या विबिहारोगाथंका फुसंतिजीयिषं शासीयखलुश्शाउ सोपुत्रिमणु याबवगया रोगयंकाबऊवाससयसहस्सजी विणो तंजहा जयलधम्मिशाशरिहंताबा चक्कवहीवा बलदेवावा वासुदधावा बरणाविजाइए नेणमणु याशणाइबर सोमवारवा नोगोतमा नागलकणधरा सुजायसहंगमुंदरंगारतुप्पलपउमकरचण कोमलंगुलितला नगरगरमग रसागर चक्कवरंकलरक में कियतलासुपडवियकुम्मचारुचलणां अणुपछि सजायएवरंगुलीशा उन्नयतणुत्तंबनिद लहा संठिशसिलिहगूढगुप्फाएणी कुरुविंदायत्तवहाणुपुछिजंया सामुगनिमग्गरमूढजाणगयदसणसुजासनितोत्र रवा रणमन्नतुल्लविक्कमविसालनीई सुजायवरतुरयगुदमोआइन्न हयव्रनिरुवलंबा मुहशवरतरसीहाइरंगवद्दय की साहीशसामंदसलदप्पणनिरपबक गगसरि सबरवइखलिशमला गंगामवन्तपयाहिणावलतरं गन्नंगुरवि किरणयोहिय उक्कोसाययमउपग मीरविशफनालाउजयस मसहियमुनायवृत्तणु किसिमनिध्याए जलरुहमुकु मालमउ यरमणिज्जारोमराई जसविहंगसुजायपीणकुत्यी ऊनायरायविशनाना संगयपासा संनय पासा सु दरपासा सुजायपासामि शमाइयपीणरइथपासा करायकण गरुयनिम्मल तुजाय निरुवहयदेहधारी पसत्यव न्नी उकलक गघरा कगगसिलाय लुजलएरस्य समतल उवाचविच्छिन्नपिऊलवत्या सिरिवत्य कियवत्या पुख For Private and Personal Use Only

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