Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press
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कोको ६० वास सहस्रपलि उब मंचसूराणसहिणिया पलिनवमचंदा या ससय सहस्समा हियं ६१ प लिउमंगहाण नरक ताणंचजाणपलियठं पलियच उत्योनागोतारणसिठिनणिया ६२ पलिउबमहागोठिइज हणाउजोइसगणस्स पलिउवममुकोसं वाससयस हस्तमज्जहियं ६३ नवणवडवाणमंतरजोड सवासी ठिम एकहिया कप्पवई वियच्छंत्रा रस इंदेम हिडीए ६४ पढमो सोहम्मबईई उन एबीन तत्तोसणं कुमारोह वडच उच्छोउमादी ६५ पंचम पुगी बोलंत उच्छदेबिंदो सप्तमउ मह सृष्ठम उनाव सहस्सारो ६६ नवमोऽपइंदोदसमो उ पाणनच्छदेविंदो यारणडक्कारसमोवारसमोच्चइएइंदो६ ७ एएबारस इंदा कप्पवईकप्प सामियानगी या प्राणाईस रियंत्रातेणपरंनत्यिदेवाणं ६८ तेणपरं देवगणासयइत्स्थिपनावणा इवबन्ना गेविज्त हिंसनका उवा उन्नलिंगेणं ६९ जेदंसणयावन्नालिंगगहणंकरतिसामणी त्तेसिंपियउबबाउको सो जायगेविता ७० इत्यकिन्न बिमाणाव श्रीसंवणियासय सयस्सा सोहम्यकप्पवडणी सक्क्स्समहाणुभागस्स ७१ इसाणकप्पवडणोठावीस वेससहस्सो बारसबारससहस्सा कप्यंमिसणं कुमारंति ७२ ठेवसय सहस्सामा हंदभिउत्नवंतिकप्पमि चत्तारित यस हरु साकप्पंड व मऊलोगं मि७३ इक रविमा णाणं पन्नासंलंत ए सहस्साइं चत्राय महा सुबच्च सहस्सा सहस्सारे ७४ णपाणयक प्लारिंसयाञ्चारणचुएन्तिन्ति सत्तविमाणययाइं चउसबिएएसुकप्पे ७५ एवाइंबिमाणाइंकहिया इंजाईजत्यकप्पं
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