Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
वही मोहबीयरायस्स ५० माहाहवागमणपा नतचयासाणिपरिगणि अंतिवहवेगबांयुबा जमणंचोखप्ता
पबाधिवेबवायाखियंकाईति चप्पणोपलंजेपनमंझिकाले मरंतिसंथारमारूढा ५२ नविकारणंतणम संथा रोनविश्वासूयानमी शप्पखलुसंधारोहवड बिसुशोचरितमि ५३ निबंधितस्सलाबुड्यस्स जत्यवजहिवसंधारो जोहोइशहाका बिहारमनठिलोही ५४ वासारत्तमितचोषित विचित्ताइसुठुकाऊणं हेमंतेसंधारे छारुहइसछ वस्याउ ५५वसीयपोश्चनपुरे यानामेणपुष्पचूलति तीसधंमायरित शाविस्सुउश्चनिशाउतो ५६ सोगंगसुतरं तो संहसउतारिशनायाए पझिवलु उतिमहं तणचशाराहिमरणं ५७ पंचमहइयकलि छापंचसयाराज्या समुरिसाण नयरमिकुंनकारकगंमि निवेसियातहश ५८ पंचसयाएगणादायंसिपरा पराजिएणरुठेण जसमि बाबमइया बुन्नाढलेणकामण ५९ निम्ममनिरहंकारा निशसरीरेविचप्पकीया तियित्तहस्युजामाणा पनिववा उन्नमवंच ६० दंतिविस्युचजसो पक्रिमादसधार उठिउपझिमंजउणावकघरे सरोहिंविछोसयंगी४६. जिणवयण वित्यिश्चमई निश्चयसीरेविश्प्याकीबछा सोवितहढिजामाणोपफि० ६२ शासीसुकोसलरिसी चउमासस्सपारमा दिवसे रुपमाणोशनम्म खहउमायाद्वग्छीए ६३ धीधणिशबछकत्यो पञ्चरकाणमिमुठुउवउतो सोतहविखक माणीपछि ६४ इोणीतरीएछवंतिनामेण विस्सउधासोपाउवगमनियनो सुसायमनमिएगतो ६५ तिलि
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154