Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नणिया ९१ एएसुविहविहण बन्नीसाठाणएसुजेसूरी तेपववणसुहकेउ छतीसगुणतीनायझो ९२ तेसिमेरुमहोयहि मेयणिससिसूरसरिसकप्याण पामूलेयविसोही णिजासुविहियजणेणं ९३ काइयवाइयमाणसिय सेबणदुप्पउग संनूयं जोशयारोकाइ तथालोएशनहिं ९१ शसुगंम्मिइउकाले असुगत्येशसुगगामनावेणं अंजहनिसेवियंखलु जेणयसखंतहालोए ९५ मित्यादसणसवं मायासलंनियाणसलंच तंसंखेवादुविहं दवेनावेयबोधलं ९६ बिविहंतु नावसल्लं दसणनाणेचरिचलोगेय सचित्ताचिनविय मीसाएयावीदवंमि९७ नमकंपिनाबसलं थणुसुरिझाउजोकुणइ कालं लजायगारवेणेय नऊसोशाराहउन्नणिन ९तिविहंपिन्नावसल्लं समुरिझाउजोकुणइकालं एबज्काईसम्मंसहो इशाराहउमरणे ९९ तन्हासुत्तरमूलं शविकुलमवित्युयंशणुविगो निम्मीहियमणिगूढं सम्मंसहोशलोअएसई १०० जहबालोजयंतो कद्दमकद्दचउआयंजणइ तंत्रहशालोपजा मायामयबिप्पसुक्कोय १ कयपाधीविमणूसो थालोइ निदिउगुरुसगासे होइशहरेगलजउ हरियनरोछनारवहो २ लछोइगारवेणय जेनालोयंतिगुरुसगासंमि धंतपिसु कुसमिछा नऊशाराहगाऊंति ३ जहसुकुसलोबिविजो थन्लस्सकहेइयत्तणोबाहि संतहथालोयछ सुठुविवहार यसलेण १ जंपुर्वत्तं पुवंजहाणु पुद्धिजहकमंसहं शालोइबसुविहिउ कमकालविहंशनिदंतो ५ शंतरपराजागेहिय एवंसबहिउपउगेहिं यमगेहिकुश्वसुगहिय थसुयकमंठाणकरणहिं ६ व गोहियगंधेहिय सदफरिसन्नवगंधेहिं प For Private and Personal Use Only

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