Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 89
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra महापञ्च० पत्र ८ नाग ॥ ४२ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिलिपचचदतादानं परिगाचेय ३३ सङ्घचणपाणंच चउहिंजो बाहिरो उवज्जाही तिरंच उबहिंसं सिविबोसिरे ३४ कंतारेदनिस्केज्यायं केवामहयासुमुप्पने जंपालियंननग्गंन्त्रं जाणसुपा णा ३५ रागेणवदो खेणव परिणामेणवनुदूत्र्यिं जंतू त्तंखलुपञ्चरकाणं जावबिसुमुणेयं ३६ पीयंघणयच्छी रं सागरसूलिलान बऊतरंजा संसारमिणत्ते माइश्शून्नमन्नाण ३७ बऊसोविमएरुणं पुणोरतासुरजाईसु नपणादपिजणेसु बरं सागरजलाउ ३८ नबिकिरसोपएसोलो एवालग्गको फ्रिमन्त्रो बिसंसारिसंसारंतो जयन जाउगाउबावि ३९ चुलसीइकिललोए जोणीणंपमुह सय सहस्साइंड क्लिक्कमिडतो खुत्तोसमुप्पन्नो ४० उ महेतिरियमियमपाइं बयाईबालमरगाई तोताइंसंनरंत्रोपनि मरणंम हामि ४१ मायामितपियामै नाया गिणी पुतघीयाथ एक्शइंसंनरंत्रोपछि एमरणंमरीहामि ४२ मायापीइबंधूहिं संसारबेहिंपूरिउजोगो बञ्जजो णिहित्राएहिं नपत्वेताणंचसरणं ४३ इक्कोका र कम्मंइको अणुहबइदुक्कयविवागं इक्को संसारइजि जरमरणचउगा ईगुविलं ४४ उत्रयणं जम्मणमरणं नरएसुवेयणाउए छाई संजरंतो पाठेयमरणगरिहामि १५ उक्षेत्रयणं जम्म तिरिए सुणा उवाए छाइ संचरंत्रोपमियमरणरहामि ४६ उच्चेवणं० मगुएसुचे० ए० पिंकिय म० ४७ उज्ञेष यजमण० चत्रणंचदेवलोगान बाइ ४८ इक्कपंनियमरणं निदईजाईसयाइबकइतं मरणमरि For Private and Personal Use Only राम धनपतसिंह बहादुर का आगम संग्रह जाग

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