Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press
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प्पणिहिएयपियहिऊतिनि तिहोचेवगारविमुक्का कायमणंचयायमं णवयसाकासात्रेव ३१ तत्रपरसुणायत्यितू णतिणिउज्जखतिविधियनिसिएण दुग्गइमग्गा तरिएणं मणव वसा कायपदंना ३२ वन्नाऊणकासाए चउरोपंचहि पचेतूणं पंचासवेडहियम हव्यगुणेहिं ३३ बीवनिकाएरस्किऊण बलदोसबतियाजइणो तिगलेसोपरिहा जा परियमले सापति जगुच्छाय ३४ पगदुगतिगच उपण सत्तठगनवद सगठाणे हेसुप्पिहीणा सुत्नेसुसंठिया जेऩ ३५ वेय गवेयावच्चें इरियठाएयं संजमठाए तहपाणबत्तिया बठपुणधम्मबिताए ३६ बसुठाणे सुइमेसुय परेकारणसमुप्पण कमजोगाच्छाहारं करतिजयणानिमित्तंतु ३७ जोए सुकिलायंत्री सरीरसंकप्पवेकमवयंता वी कप्पावऊनी चिंतिउज्जयंमरणं ३८ छायंके उवसग्गे तिरिरक यावंनचेरगुत्तीसु पाणितद्यातव हे सरीरप रिहरत्येन ३९ एफीमासुसी हजिकालिया मुरकरे निगाहाई चियानिंतरए बंज्ञेय तवे समणुरन्ना १९ बिकलसीलायारा पवित्राजे उत्तमं ठं पुछिला गयमाणय जगियाखाराहणाचेव ४१ जहपुष्ठगमणो करणवी होणोबिसागरेणेन तीरासनपावइ रहिउ वल्ल गाइहिं ४२ तहसुकरणोमहेसानि करणार उधवहोइ हलहड उत्तमष्ठं तं इलाजत्रणंजाणं ४३ एससमासोजणित परिणामवसंणसुबिहियजणस्सइ होजहकरणितं पंक्रियमर तहामुह ४४ फासेहिंतिश्वरित्तं ससुहसीलयपरिऊणं घोरपरी हवसुं छहियासिती घेइबलेण ४५ सद्देरुवेगंधे
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