Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 90
________________ Shri Maharjan Aradhana Kendra Acharya Sheril Kallassagarsur Gyanmandir यवंजेण मउसुम्म उहोड १९ कइशोणुतंसुमरणं पंमिशमरणजिणेहिं परमत्तंसुछोउहिच सलोपाउपमउमरी हामि ५० जवसंसारेसचे चउबिहापुगलामएबछा परिणामपसगेणं पठविहेकम्मसघाए ५१ संसाखक्कवलेसचेते तेपुग्ग लामएबऊसो थाहारियायपरिणामि शायतपहिंगउतिन्ति ५२ थाहारनिमित्तणं यहयंसछेसुनरयलोएस उवव सोमियजसो सहासुसमच्छहजाई ५३ शाहारनिमित्तणं मच्छागच्छतिदाहणे नरएसच्चित्तोशाहारो नखनोएम णसाविवबेउं ५४ उत्रणकछेणपश्चग्गी लवणजलोवानइसहस्सहिं नइमोजोमेसक्का तिप्पेनकामनोगेहिं ५५ तर्णकठे० लवणज० नइमो० तिप्पेन्यबसारेणं ५६ तणनवण० इमो० तिप्पे उगंधमल्लेहिं ५७ तण० लवण. नरमो० तिप्पे उन्नोशणविहीए ५८ वलयासहसामाणा दप्परोवणरनुअपरिमिच्छो उडमो० तिथेउगंधमलेहिं ५९ शविश्वछोशंजीवो शशकालंगमिस्साए सद्दाणयरूवाणय गंधाणरसाणफासाणं ६० कप्पन्नहसंनवेसू देवूउत्ताक्रुरुवसापमुए सुउपवाएणयतितीन पनरविजाहरसुरसु ६१ खडएणवपीएणव नयएसोतोइउहवई शप्याजदुग्गइनन्छई तोणताइउहोइ ६२ देविंदचक्कावहित णाइंउन्नमानोग्गपता अणंत्तखुनोनपहंति विज्ञलिहि.६३ खीरदगिधुरमसु साऊसुमहोदहिसुबजसो विउववणोनयन्तण्हो विक्षनेंसीयलवणेण ६४ तिमिसंगहाकामरइविसपसु रकाणबजसोसूहमणुछ तयसुहत्तएहापरिविन्नाण्हा ६५ जोकाइप For Private and Personal Use Only

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