Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चनसरखा ४ प्राग ॥२७॥ हं११ पसमिश्कामपमोहं दिठादिसुनकलियविरोहं सिव सुहफलयमरोहं धम्मंसरणंपर्यनोहं ५५ नरयगडगमण रोहं गणसंदोहंपवाइनिरकोह निहणिशयमहजोहं धम्मंसरणं पवनोहं १६ लासुरसुबलसुदर रयणालंकारगारब महग्छ निहिमित्रदोगच्चहरं धम्मंजिणदेसियवंदे ४७ च उसर गगमणसंचिय सुचरियरोमंचो शंचियसरीरोकयटुका दुगरिहाशसुहकम्मस्कयखिरांनाई १८ इहलवियमलनबिय मिबन्तपवनणे जमिहगरणं जिणपवयणपमिकुटु गरिहामितपावं ४९ मिन्नतमंधेगरिहताइ सुपवंनवणिज शन्लाणणबिरइय इरािहगिरिहमित्तंपावं ५० सु यधम्मंसघसाहसु पावपक्षिणीयशाइजरडयं शलमयपाबेसुपड़रिहं ५१ शलेसुयजीवसुमित्ती करणाइगोयरेसुक परियाणादुरक इरिहगिरिहामित्तं ५२ जमणवकयाहिंकय कारियशणुमइहि शायरियंधम्मबिरुछमसुई इ गिहगिरिहामितं ५३ शहसोदुक्कामगरिहा दालि उक्कामोदुकझोफुणनगइ सुकाणुराएसमई बपुन्नफुलयंकुरकरालो ५४ शरिहत्तंरिहतेसु जंबसिछत्तपंचसिसु शायारंशायरिए उवज्जावतंउबजाय ५५ सागसाऊचिरियं दे सविरीयंचसाबजिणाणं अणुमलेसझेसिं सम्मत्तंसदष्ठीणं ५६ शहवास चियवीयरायं ययगाणुसारिज सुकळंकाल नएवितिविहूं शणुमोएमन्तयंसवं५७ सुहपरिणामोनिच्चं चउसयरगमाय शायरिंजीवो कुशालपयमियधंधाइ बंधो उसुहाणबंधाउ ५८ मटुणलावायधति वणनावाउकुणहय ताचेवश हाउनिरण यधाउ कुणरतिवाणमंदा ५९ राय धनपतिसिह बहादुर का पागम सग्रह नाग । For Private and Personal Use Only

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