Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गववि० सपन्न जाग ३ ॥२४॥ णिकारए तबोकम्माणिकारिजापाउवगमणाणिय ४८ दारं ५ रुद्दउमुजताणं थाउत्यंलवईशंगुलच्छाउ सेउवह इसठी वारत्तसमित्तोहवइजतो १९ बच्चेयश्शारत्नको सोमितीपंचशंगुलोहोई चत्तारियवइरित्यो दुवयसावसूहो इ ५० परिमंझलोमुजतो शुसीबमसंतितष्ठिएहोइ दोहोइरोहणीषण बलोयच उरंगुलोहोइ ५१ विजउपचंगुलिन च्छच्चेवयनेरिउहवडजनों वरुणीयहबइबारस शत्यमदोवाहवइसष्ठी ५२ बन्नउड्यंगुलाई एसादिवसमुजता रति मुजतावियाहिया दिवसमुऊतगइ पढायामाणमुगोयई ५३ मिनंदेतहसुछिए यशनिडचंदेतहेवया वरुणग्गि वसई साणेशाणंदेविजएइस ५४ एएसृमुजतजोए सुसेहनिरकमणकरे वउवष्ठावणाई चशणुल्लागणिवायए ५५ वनेबलएवाउम्मि उसनेवरूणोतहा शणसण पावयगमणं उत्तमवंचकारए ५६ दार ६ पुन्नामधिजसउणेसु सहनिरक मणंकरे बिनामेसुसउणे मुसामाहिंकारएविऊ ५७ नपुंसासुसउणे सुसच्चकम्माणिवजाए वोमिस्से सुमित्तेसु सहारं जाणिबजाए ५८ तिरियंवाहरंतेसु शहाणागयणकर पुफियफलिएबस्ये ससायंकरणकरे ५९ दुमखंथेवाहिरते मु सेऊयहावर्णकरे गयणेबाहरत्ते सुउन्नमंठंतुकारए ६९ बिलमूलेवाहरते सुठाणे परिगिए उप्पायमिवयंत सुस णमुमरणंभवे ६१ पक्कमंतेसुसण सुहरिसतुहिंचयागरे ७ चलराशिविलग्गे सुसेहनिरकमणंकरे ६२ थिरएसिवि लग्गंमुंबहा वहावर्णकरे सुयखंधाणुन्ना उहिसे यसमुद्दिसे ६३ विसरीरविलग्गसु ससायकरणंकरे रविहोराबिल राय धनपतिसिंह का पागम संग्रामाग३। For Private and Personal Use Only

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