Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६३ तिरियंतु संखिता दोवसमुद्दास एहिं हि उवगाढाउकरिता सुंदरिएएसिएगयरो ६४ एनएन रोइं दो जंबुद्दीमा महत्येणं त्यजाधरिक्षा श्रन्त्रयउमंदरंधिन ६६ जंबुद्दीवं का ऊणासयंमंदरंबा से दमं एछन्नयरो इंदो एसोसिबल बिसेसो ६६ एसोजवणवडणंठजवणहन्नियासमासेणं सुणवाणमंतराणं नवणवाणु पुछीए ६७ पिसाय छाजरकाय रस्कसाकिंनरायकिंरिसा महोरगायगंधज्ञा ठबिहाबाणमंतरा ६८ एएऊखमासेणं कहिया | सेवामंतरादेवी पात्तयंपियबुच्चं सोलसइंदे महिहिए ६९ कालेय महाकालेसु त्रयमित्रन पुन्ननद्देय मरवडमा णन जीयतहामहाजीमे ७० किंनरकिंपुरिसे खलुप्पुरिसे खलुतहा महापुरिसे छइकायमहाकाए गीयरईचेव गीयतसे ७१ सन्निहिएसामाणे धाडविधाइए विसायइसियाले इसारमिहिस्सरयाहवइ सुवत्येवसाय ७२ हासेहासरईत्रिष्ण से च्छा तहानवे महासेए पयएएययविई पियनेयज्ञाछाणुपुचीई ७३ उहुमहेतिरियंमियबसयंहि उबजितिवितरादेवा जवणापुणणहरयणप्पनाई उबरिल्ल एक ७४ इक्क् मियजयलेनियमा जत्रणावरा संखिता संखिङ्ावित्यप्रापुग नवरं सत्यनागतं ७५ जंबुद्दीवसमाखलु उक्को सेणंजवतिजवणंवरा रकुहारिकतसमावि विदेहसमयायमलिमया ७६ जहिंदेवावंत्तरिया वरतरुणीगीयवाइयरवेणं निच्चसुहिया पमुइयागयंपिकालंनया पंति ७७ काले सुत्र पुगेजी मत्तह किन्नरेयसप्पुरिसे छइकायगीयरई छठेचयतिदाहिणन ७८ सणिकणगरयण For Private and Personal Use Only

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