Book Title: Dashpayanna Mul Sutra
Author(s): Jain Prabhakar Press
Publisher: Jain Prabhakar Press
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देविंदव उपन २प्राग ॥१४॥
मिकुंतिवासा तन्नामएसद्देदीवेबातेसिउपाण ४७ शसुराणंनागाणंउदहीकुमाराणऊतिशवसा शरुणवरेदीवम्मिय तत्येबयतेसिउप्याया ४८ दीइंदिसाचग्गीणंथणियकुमाराणजतियावासा १९ वाउसुवणिंदाणएएसिंमाणुसुन्तरेसो ल हरिणोशहरिप्पहस्सयविजाप्पत्नमालवतेसु ५० एएसिंदेवाणंबलबीरियपरक्कमोशजोजस्स मुंदरिवणेहंछहकम थाणुषबीए ५१ जावयजबुद्दीवोजावयचमरस्सचंउमरचचान सुरेहिंशसुरकणाहिंतस्सविसन्लारेउजे ५२ तंचेव समइरेगंबलिस्सवइरोयणस्सबोधवं सुरेहिंधसुरकलाहिंतस्सविसउन्नर उजे ५३ धरणोविनागरायाजंबुद्दीवफा इच्छाइजा तंचेबसभइरेगं तयाणंदेविबोध, ५४ गुरुलोकविवेणुदेवो जंबुद्दीवंबइजापरकेणं तंचेवसमइरगं वेणू दालंमिबोधवं ५५ पुणोविजंबुदीवंपाणितलेणंच्छईजाइक्कण तचेवसमयरेगहवइवेसिमिबोधई ५६ इक्कोइजलुम्मि एजंबुद्दीवनरिजाजलकतो तंचेवसमइरेगंजलप्पन्नेहोडबोधछ ५७ शमियगइस्सविन्तविसउजंबुद्दीवखरिजलकतो तंचं वसमइरेगंजलप्पन्नेहोडबोधछ ५८ शमीयगइस्सविविसनजंबुद्दीवतुपायपराहीए कंपीजनिरवसेसंइयत्नरोपुणतंसइ रेगं ५९ इक्काइवायगंजाइजंबुद्दीबंजरिजावलंबो तंचेवसमइरेगपत्नजणेहोडबोधवं६० घोसेवजंबुद्दीवंसुंदरिइक्क णघणियसद्देण बहिरीकरिज्जासहंइयंरोपुणतंसमइरेगं ६१ इक्कोइविजयाए जंबुद्दीवं हरियकासिज्ज तंचेव समइरे गंहरिस्सहेहोइयोध, ६२ इकोइग्निजालाइ जंबुद्दीवं मद्विजग्गिसिहो तंवसमइरेगंमाणवएहोइबोधवं
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