Book Title: Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Author(s): Vasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
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जैनागमों के पाठसम्पादन में प्राचीन भाषाकीय स्वरूप का पुनःस्थापन
वसन्तकुमार म. भट्ट
भूमिका
पाठसमीक्षा (Textual Criticism) अथवा 'समीक्षित पाठसम्पादन' (Critical TextEditing) की सोच कुछ इस प्रकार की है । किसी भी ग्रन्थ की एक प्रतिलिपि से दूसरी प्रतिलिपि में पाठ संक्रमित हुआ है वह लहियाओं के अनेक प्रकार के प्रमाद के कारण आकस्मिक कारणों से विकृत - खण्डित और अशुद्ध बना होता है । इसलिए हस्तलिखित प्रतों में सुरक्षित एक ही कृति के विविध प्रकार के पाठों (Text) से' मूल ग्रन्थकार द्वारा लिखित मूलपाठ (Original Text) को अनुमान से ढूंढ निकालना, और समय समय पर प्रविष्ट पाठान्तरों को सुनिश्चित पद्धति से पादटीप में संगृहीत करना, 'समीक्षित पाठसम्पादन' कहा जाता है । १. पाठ सम्पादन के त्रिविध आयाम
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मूल ग्रन्थकार का स्वहस्तलेख और आज उपलब्ध किसी की लिखी हुई हस्तलिखितप्रत (Manuscript ) के बीच के पाठसंक्रमण ( Text- transmitation ) का इतिहास हमें बिलकुल अज्ञात होता है अज्ञेय होता है । ऐसी स्थिति में किसी एक हस्तप्रत में प्राप्त जिस तिस कृति के पाठ को मूलग्रंथकार का लिखा हुआ मानना समुचित नहीं है, क्योंकि उसी कृति की दूसरे प्रान्त से प्राप्त होने वाली हस्तप्रत के साथ तुलना करने पर उन दोनों में बहुत अन्तर दिखाई देता है । क्योंकि प्राचीन और मध्य कालीन भारत में प्रतिलिपीकरण का कार्य यांत्रिक न था इसलिए मानव द्वारा हुए इस प्रतिलिपीकरण में कृति का मूलपाठ अनेक प्रकार से विचलित हुआ दिखाई देता है। ऐसी परिस्थिति में कोई भी एक हस्तलिखित प्रत के आधार पर किसी कृति का पाठसम्पादन या पाठ प्रकाशन करना अनर्थकारी सिद्ध होता है । हमारे प्राचीन भाष्यकार और टीकाकार भी इस बात की गवाही देते हैं कि उन्हें परंपरा में मिले किसी भी कृति के पाठ में अपपाठ, पाठान्तर, लुप्तांश और प्रक्षिप्तांश वगैरह देखने को मिलते हैं । उसके बाद यूरोपीय विद्वान् जब प्रथमबार संस्कृत, पालि, और प्राकृत भाषाओं में लिखे ग्रन्थों से परिचित हुए, और उन्होंने उनका प्रकाशनकार्य हाथ में लिया तब उन्होंने पाठसम्पादन कैसे किया जाय इसके कुछ सिद्धान्त तय किए जिनका प्राथमिक परिचय देते हुए डा० सुमित्र मंत्रेश कत्रेजी ने एक पुस्तक लिखी ।
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