Book Title: Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Author(s): Vasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
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Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
'स जहर्ष निजाद्यन्ते निपीयाशुपूरिते ।
अहो ! जानाति विश्वेऽस्मिन् कविरेव कवेः श्रमम् ॥' इस प्रकार जैन आचार्य कवि रामचन्द्र के जीवन और कर्तृत्व का संक्षिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत किया गया । निस्सन्देह, संस्कृत-साहित्य की समृद्धि में आचार्य रामचन्द्र सूरि का अपूर्व
और महनीय योगदान है । उनकी प्रकाशित रचनाओं का सुव्यवस्थित सम्पादन तथा अप्रकाशित रचनाओं का प्रकाशन और अनुपलब्ध रचनाओं का अन्वेषण सर्वथा अपेक्षित है । यद्यपि उनकी उपलब्ध कृतियों का छिटपुट अनुशीलन हो रहा है तथापि उनके कर्तृत्व का समीक्षात्मक मूल्याङ्कन समग्रतया होना अभी शेष है । इस दिशा में सविशेष अध्यवसायपूर्ण श्रम नितान्त काम्य है । इति शम् ॥
पादटीप : १. प्रकृत में उपयोगी अपेक्षित अंश मात्र उद्धृत किया गया है ।
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