Book Title: Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Author(s): Vasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
View full book text ________________
२६६
Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
४५. का० शा० (वाग्भट द्वितीय) अध्याय-२, पृ० ३२ ।
२.
४.
संदर्भसाहित्य : नाट्यशास्त्र- (ना० शा०)-भरतमुनिविरचित, संपा० डॉ० तपस्वी नान्दी, प्रका० सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद, प्रथमावृत्ति, १९९५ । काव्यादर्श-(का० द०) दण्डीविरचित संपा० श्री रंगाचार्य रेड्डी शास्त्री
प्रका० प्राच्यविद्यासंशोधनमंदिर, पूना, द्वितीय आवृत्ति, १९७० । ३. काव्यालंकारसूत्रवृत्ति- (का० सू० वृ०) वामनविरचित
संपा० डॉ० बेचन झा प्रका० चौखम्मा संस्कृत संस्थान, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, १९७६ । ध्वन्यालोक-(ध्वन्या०) आनंदवर्धनरचित संपा० डॉ० तपस्वी नान्दी
प्रका० सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद, प्रथम आवृत्ति, १९९७-९८ । ५. वक्रोक्तिजीवित-(व० जी०) कन्तकरचित
संपा० डॉ० नगेन्द्र
प्रका० आत्माराम एण्ड संस, दिल्ली, १९५५ । ६. सरस्वतीकंठाभरण-(स० कं०) भोजविरचित
संपा० श्री केदारनाथ शर्मा एवं श्री वासुदेव लक्ष्मण पणशीकर प्रका० काव्यमाला-९८, १९२४ ।। काव्यप्रकाश-(का० प्र०) मम्मटविरचित संपा० श्री वामनाचार्य झळकीकर
प्रका० भांडारकर ओरिएण्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पूना, सप्तम आवृत्ति, १९६५ । ८. काव्यानुशासन-(का० शा०) हेमचन्द्ररचित
संपा० श्री रसिकलाल परीख प्रका० महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई, प्रथमावृत्ति, १९३८ । वाग्भटालंकार-(वा० लं०) वाग्भट प्रथमरचित संपा० डॉ० सत्यव्रतसिंह
प्रका० चौखम्बाविद्याभवन, वाराणसी, १९५७ । १०. काव्यानुशासन-(का० शा०) वाग्भट द्वितीयरचित
संपा० पंडित शिवदत्त एवं काशीनाथ पांडुरंग परब प्रका० निर्णयसागर प्रेस, बोम्बे, द्वितीयावृत्ति १९९५ ।
000
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352