Book Title: Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Author(s): Vasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad

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Page 329
________________ . ३०४ Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature अंतर्गत ऐसी रचनाएँ सम्मिलित हैं, जो इस शताब्दी में टीका-ग्रन्थ के रूप में प्रणीत हैं । इस शताब्दी में कुछ ऐसी भी रचनाएँ प्राप्त होती हैं, जो उपर्युक्त विश्लेषण क्रम में स्थान नहीं पा सकीं । उनका अन्य ग्रन्थों के रूप में उल्लेख किया गया है। बीसवीं शताब्दी में विरचित जैन संस्कृत महाकाव्यों / काव्यों की सूची निम्न प्रकार है :जयोदय महाकाव्यम् आचार्य ज्ञानसागर वीरोदय महाकाव्यम् आचार्य ज्ञानसागर श्री भिक्षु महाकाव्यम् मुनि नथमल पुण्य श्री चरित महाकाव्यम् पं० नित्यानन्द शास्त्री क्षमा कल्याण चरितम् महाकाव्यम् - पं० नित्यानन्द शास्त्री शांति सिन्धु महाकाव्यम् आचार्य घासीलाल लोकाशाह महाकाव्यम् आचार्य घासीलाल श्री तुलसी महाकाव्यम् पं० रघुनन्दन शर्मा स्वर्णांचल माहात्म्य श्री बालचन्द्र जैन बाहुबली महाकाव्यं प्राकृत डॉ. उदयचन्द्र जैन लोकाशाह महाकाव्यम् - पं० मूलचन्द्र शास्त्री सुदर्शनोदय आचार्य ज्ञानसागर भद्रोदय आचार्य ज्ञानसागर शांतिसुधा सिंधु आचार्य कुन्थसागर प्रभव प्रबोध काव्यम् चन्दनमुनि पंचतीर्थी चन्दनमुनि अर्जुनमालाकारम् चन्दनमुनि संवरसुधा चन्दनमुनि अश्रुवीणा (दूतकाव्य) मुनि नथमल रत्नपाल चरितम् मुनि नथमल माथेरान सुषमा मुनि नगराज धर्म कुसुमोद्यानम् - पं० पन्नालाल साहित्याचार्य पाण्डव विजय मुनि डुंगरमल गीतिसंदोहः मुनि दुलीचन्द 'दिनकर' संस्कृत गीतिमाला साध्वी संघमित्रा भाव-भास्कर काव्यम् धनराज द्वितीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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