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Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
४५. का० शा० (वाग्भट द्वितीय) अध्याय-२, पृ० ३२ ।
२.
४.
संदर्भसाहित्य : नाट्यशास्त्र- (ना० शा०)-भरतमुनिविरचित, संपा० डॉ० तपस्वी नान्दी, प्रका० सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद, प्रथमावृत्ति, १९९५ । काव्यादर्श-(का० द०) दण्डीविरचित संपा० श्री रंगाचार्य रेड्डी शास्त्री
प्रका० प्राच्यविद्यासंशोधनमंदिर, पूना, द्वितीय आवृत्ति, १९७० । ३. काव्यालंकारसूत्रवृत्ति- (का० सू० वृ०) वामनविरचित
संपा० डॉ० बेचन झा प्रका० चौखम्मा संस्कृत संस्थान, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, १९७६ । ध्वन्यालोक-(ध्वन्या०) आनंदवर्धनरचित संपा० डॉ० तपस्वी नान्दी
प्रका० सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद, प्रथम आवृत्ति, १९९७-९८ । ५. वक्रोक्तिजीवित-(व० जी०) कन्तकरचित
संपा० डॉ० नगेन्द्र
प्रका० आत्माराम एण्ड संस, दिल्ली, १९५५ । ६. सरस्वतीकंठाभरण-(स० कं०) भोजविरचित
संपा० श्री केदारनाथ शर्मा एवं श्री वासुदेव लक्ष्मण पणशीकर प्रका० काव्यमाला-९८, १९२४ ।। काव्यप्रकाश-(का० प्र०) मम्मटविरचित संपा० श्री वामनाचार्य झळकीकर
प्रका० भांडारकर ओरिएण्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पूना, सप्तम आवृत्ति, १९६५ । ८. काव्यानुशासन-(का० शा०) हेमचन्द्ररचित
संपा० श्री रसिकलाल परीख प्रका० महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई, प्रथमावृत्ति, १९३८ । वाग्भटालंकार-(वा० लं०) वाग्भट प्रथमरचित संपा० डॉ० सत्यव्रतसिंह
प्रका० चौखम्बाविद्याभवन, वाराणसी, १९५७ । १०. काव्यानुशासन-(का० शा०) वाग्भट द्वितीयरचित
संपा० पंडित शिवदत्त एवं काशीनाथ पांडुरंग परब प्रका० निर्णयसागर प्रेस, बोम्बे, द्वितीयावृत्ति १९९५ ।
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