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४२ | चिन्तन के विविध आयाम : खण्ड १
जापान में कोई भी शक्तिशाली महत्वपूर्ण वस्तु को आराध्य देव के रूप में माना है । इस प्रकार बहुदेवतावाद मानने पर भी जापानियों में एकेश्वरवाद का प्राधान्य चीन के द्वारा आया । जापान का मुख्य धर्म शितो है, जिस पर हमने अन्यत्र इसी निबन्ध में विचार किया है ।
मिस्र में ईश्वर - कल्पना
आधुनिक इतिहास की दृष्टि से मिस्र की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत प्राचीन है । मिस्र की प्राचीन लिपि, 'चित्र लिपि' थी । इस चित्र लिपि में ईश्वर वाचक शब्द को बताने के लिए एक तारा का चिन्ह ★ बताया जाता था । तारा पंचमुख के रूप में है । इसके पीछे उनकी क्या कल्पना थी ? यह स्पष्ट नहीं है । उसके पश्चात् ईश्वर के दिव्य रूप को चित्रित करने वाला बाज पक्षी का चित्र है । यूरियस (सर्प) के रूप में देवी का चित्र प्राप्त होता है। मिस्र भाषा में 'न्त्र' शब्द ईश्वर के अर्थ में आया है ।
मिस्र राज्य के मध्य में नील नदी बहती थी। उसके सन्निकट प्रदेश में पहले एकेश्वरवाद था और उसके साथ ही बहुदेववाद का भी प्रचलन था । वे लोग अमरता की संप्राप्ति हेतु रहस्यमयी अर्चनाएँ भी किया करते थे । मिस्र के चित्र लेखों के अध्येताओं का कहना है कि मिस्र निवासी एक शक्ति विशेष की अर्चना किया करते थे जो पहले थीब्स का राजा था और होलियो पौलिस का राजपुत्र था । वह 'सर्वोच्च मुकुट' के सदृश माना जाता था । वही सृष्टि का सर्जक था, अदृश्य रहकर वह जनजन की प्रार्थना को सुनता, उसके सदृश विश्व में कोई नहीं था । वह 'आमोन' 'रा' या 'प्ताह' भी कहलाता था । यह देव सबसे बड़ा देव था । उसके स्वरूप को जानना अत्यन्त कठिन था । इसके अतिरिक्त वहाँ अन्य अनेक लघु देव भी थे । 'रा' के विभिन्न क्षेत्रों की दृष्टि से विभिन्न नाम प्राप्त होते हैं । उसके पश्चात् 'इसिस' सबसे महान् देवी मानी गयी ।
मिस्र में वंश देवता की अर्चना भी बराबर होती रही । जो भी फरोहा राजगद्दी पर आसीन होता, अपने वंश देवता की पूजा करने पर बल देता था । इस प्रकार देवताओं का माहात्म्य बढ़ता चला गया। सारे मिस्र में सूर्य देवता 'रा' के के रूप में और मृतकों के देवता 'आसेरिस' सर्वत आदर की निगाह से देखे जाते थे और उनकी अर्चना भी चलती थी । निम्न वर्ग के लोग भूत-प्रेत आदि से सुरक्षा के लिए 'बेस', जन्म देवता 'थ्यूरिस', पाताल लोक का देवता 'अमे-थेस', धान्य सुरक्षा के देवता 'नेपरो' की पूजा किया करते थे । मिस्र के देवताओं में कुछ देवता राजा की तरह उच्च थे तो कुछ उनके अधीन और छोटे थे । जिस प्रकार मानव को भूखप्यास, आनन्द, शोक, भय- बीमारी, वृद्धावस्था और मृत्यु सताती है उसी प्रकार उन देवों को भी वे सारी चीजें सताती हैं, ऐसा मानकर मिस्रवासी देवों को अर्घ्य, वस्त्र, नैवेद्ये, आभूषण, सुगन्धित पदार्थ, उद्यान, सरोवर, नौका, दास-दासियाँ आदि
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