Book Title: Chintan ke Vividh Aayam
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 216
________________ चतुर्मुखी प्रतिभा के धनी उपाध्याय श्री पुष्करमुनि जी महाराज | १०५ प्रवचन करते हैं । भाषा पर आपका पूर्ण अधिकार है । आपमें विचारों को अभिव्यक्त करने की कला गजब की है। आपकी वाणी में ओज है, तेज है और शान्ति है । वस्तुतः आप वाणी के कलाकार हैं । सद्गुरुदेव के जीवन की हजार-हजार विशेषताएं हैं, उन सभी विशेषताओं को अंकित करना सम्भव नहीं है। क्या कभी विराट समुद्र को नन्हीं सी अंजलि में भरा जा सकता है ? फिर भी बाल सुलभमन समुद्र की विशालता को हाथ फैलाकर बताने का प्रयत्न करता ही है, ऐसा ही प्रस्तुत प्रयत्न मैंने किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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