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पदच्युत
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पदार्थ दोषः
सयम
पदच्युत (वि०) पद से हटाया गया, पद से मुक्त किया। पदवृत्तिः (स्त्री०) दो शब्दों के बीच का अन्तर/विराम। पदच्छेदः (पुं०) पदच्छेद करना, अलग अलग शब्द रखना। पदश्रुत ज्ञानं (नपुं०) अक्षरज्ञान की वृद्धि का ज्ञान। पदत्राणं (नपुं०) पादुका। (जयो०१० २/१६, ११/४१) पदश्रुत ज्ञानावरणीयः (पुं०) पदश्रुत के आवरण कर्म। पदतीरं (पुं०) चरणभाग। (जयो० ४/८)
पदसमं (नपुं०) सम स्वर वाला पद। पदन्यासः (पुं०) पद निक्षेप, (जयो० १/९७)
पदसमासः (पुं०) दो आदि पदों का समुदाय। ०पदचिह्न, पद संकेत। (जयो० ११/९७)
पदसरोरुह (नपुं०) चरण कमल। (जयो० १/९३) ०डग भरना, पैर रखना, गतिशील होना। (जयो० १/९२) पदस्थस्थानं (नपुं०) पदमेष्ठिपद का ध्यान। स्तुति में चित्त पद निक्षेप, चरण प्रदान। (जयो० १/९७)
की एकाग्रता का ध्यान। पदनिक्षेपः (पुं०) निश्चय करना, अनुयोगद्धार से पद रखना। पदस्खलनं (नपुं०) पदवी से च्युत होना। (जयो० १९) पदपा (नपुं०) चरण काल। (जयो० ३/रु)
पदस्फोटः (पुं०) विशिष्ट अर्थ का प्रकट होना। पद-पद्ममिलिन्द्रः (पुं०) चरणकमल रूप भ्रमर। (वीरो० पदांशः (पुं०) पद के भागा काव्यगत पद के अंश। २१/११)
(जयो०वृ०३/९) पदपङ्कजं (नपुं०) चरणारविंद। (जयो० १/९२)
पदांशरूपकः (पुं०) पल्लव प्रवाल। (जयो०वृ० १४/४२) पद पंक्तिः (स्त्री०) पदचिह्नों की श्रेणी, चरणतति।
पदागमगुणः (पुं०) समागमपरिणा। (जयो० १२/१४५) पदपाठः (पुं०) सूत्र उच्चारण, मन्त्र पाठ करना, मूल सूत्र का पदाग्रः (पुं०) चरणाग्र, चरणों के सम्मुख। (जयो० २४/७५) - पाठ करना।
समर्पणां प्राप्य मनस्विना परां सदक्षताः श्रीशपदाग्रतो धराम्। पदपातः (पुं०) कदम विशेष, चरणन्यास, पैद रखना, गति 'पदयोश्चरणयोः अग्रं प्रान्तभागमाप्त्वा' (जयो०१० १/५६) करना।
पदाङ्गष्ठः (पुं०) पैर का अंगूठा। (जयो०१० ११/१९) पदप्रयोगः (पुं०) पद का प्रयोग/उपयोग। (समु० ७/३३) पदाञ्चिः (स्त्री०) अधोवस्त्र का ऊपरी भाग। (जयो०) पदबद्ध (वि०) गेय पद युक्त रचना, विशिष्ट पद रचना। पदाति (नपुं०) पैदल सैनिक। पदबंधुरं (नपुं०) मनोहर शब्द। (जयो०६)
पदाधीनः (पुं०) वशवर्तिनी। (वीरो० १३/१६) पदभंजनं (नपुं०) शब्द विग्रह, निरुक्ति, व्युत्पत्ति, शब्द संघ पदाब्जु (नपुं०) चरण कमल। (जयो० ३/३१) 'पदाब्जयो __ का पृथकीकरण।
चरणकमलयोरधिकरणभूतयोरेवास्ति' (जयो० ३/३१) पदभंजिका (स्त्री०) पृथक्-पृथक् पदों पर लिखि गई व्याख्या, | पदाब्बुजरजः (पुं०) चरण-कमल की धूली। (जयो० २/२८) पद भाष्य।
पदाम्बुजाता (समु० १/४१) पदमाला (स्त्री०) जादू का गुण। गतिशीलता।
पदाम्बुरुहं (नपुं०) चरण-कमल। 'पदावेन अम्बुरुहे कमले' पदमीमांसा (स्त्री०) पदों का विचार, पद व्याख्या, अनुयोगद्वार (जयो०वृ० १/९९)
की रीति के अनुसार पदों का चिंतन-मनन। 'पदाणं पदाम्भोजः (पुं०) चरण कमल। (समु० ३/६६)
मीमंसा परिक्खा गवेसणा पदमीमंसा। (धव० १२/३) पदारविंद (नपुं०) चरण कमल। (जयो०वृ० १/२२) पदयुग्मः (पुं०) चरण युगल। (जयो० ६/३८)
पद्धतिः (स्त्री०) ०मार्ग, रीति। (जयो० १३/१५) ०मार्गतति पदरीतिः (स्त्री०) वर्णलोप पद्धति। (जयो० वृ० १/३) ०चरण (जयो० ४/१५) प्रसाद, शब्दसञ्चारण। (जयो०वृ० १/३१)
पद्धतिभेदः (पुं०) मार्ग भेद, रीति विचार। पदविः/पदवी (स्त्री०) प्रतिष्ठा, उपाधि, विशेष नामकरण, पदार्थः (पुं०) वस्तु, द्रव्य, चीज। (समु०८/२) जीवोऽप्य
०पद्धति (जयो० ११/९७) विशेष स्थान पद्धति, (जयो० जीवश्चस्तथा पदार्थः। पद्धति। (जयो० १/६) १३/४१) ०मार्ग, रथ्या, (जयो० १३/२५)
उपकरण। (जयो०१/६) ०माल-अन्नादेरिस्ततो। (जयो० पदविग्रहः (पुं०) पदों का छेद, पदविच्छेद, पदभंजन, २/१३) पदपृथक्करण, अभीष्ट अर्थ का नियमन।
पदार्थ दोषः (पुं०) १. पद के अर्थ का दोष। ०वस्तु में अन्य पदविभागी (स्त्री०) पद की आलोचना।
अर्थ की कल्पना।
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