________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परक्षेत्रसंसार
६०३
परब्रह्मन्
परक्षेत्रसंसार (पुं०) जन्म-मरण रूप संसरण। यस्तद्ध्यानं
भावना परा। (सम्य०११६) परगामिन् (वि०) दूसरे से सम्बन्ध रखने वाला, दूसरे के लिए
लाभदायक। परघातक (वि०) दूसरे से नाशक। (जयो० १२/६) परचक्रं (नपुं०) शत्रु सेना, शत्रु बल। (जयो० २/१२१)
शत्रुसमूह, वैरिसमूह। पश्चात् भुवि क्व परचक्रकथास्तु
जातु। (जयो० १०/९८) परघातः (पुं०) दूसरे के शस्त्र से घात, शरीर पीड़ा, परप्रयुक्त
से घात। परेसिं घादो परघादो जस्स कम्मुद्रण सरीरं परपीडायरं
होदि तं परघादणाम। (धव० १३/३६४) परचरित्रचर (वि०) अपने चरित्र से भ्रष्ट होकर विचरण करने
वाला। परछंदः (पुं०) दूसरे की इच्छा। परत्राणं (नपुं०) अन्य की रक्षा। (हित० सं०८) परञ्ज (स्त्री०) फेन। (वीरो० ४/२४) परञ्जपुञ्जः (पुं०) फेन समूह (वीरो० ४/२४) परतल्पाः (स्त्री०) ०परशय्या, ०परस्त्री। (सुद० ८३) परतक्षक (वि०) शत्रुछेदका (जयो० ६/१०४) परछिदं (नपुं०) दूसरे की कमी, अन्य की कमियां। परजात (वि०) दूसरे से उत्पन्न, दूसरे पर आश्रित। परजातः (पुं०) सेवक, भृत्य, नौकर। परजित (वि०) दूसरे से जीता। परजितः (पुं०) कोकिल, कोयल। परतः (अव्य०) दूसरे से, अपेक्षाकृत। परतन्त्र (वि०) पराधीन, पराश्रित, अनुसेवी। (जयो० २७/४४) परतोद्धरणं (नपुं०) दूसरे का उदाहरण। (वीरो० २२/२१) परत्वः (वि०) दूरवर्ती। परत्वापरत्व (वि०) गुणों से रहित और गुणों से सहिता परत्र (अव्य०) आगे, बाद में। (सम्य० १५४) परथा (स्त्री०) उल्टा। (दयो० ७६) अल्पप्रवृत्ति। (जयो०
२३/८५) अन्यथा (२/११५) परदर्पलोपी (वि) मदमर्दन कर, दूसरे के दर्प का लोप करने
वाला। 'परेषां प्रतिपक्षिणां दर्पलोपी' (जयो० ११/२३) परदाभिदा (स्त्री०) परदा, यवनिका। (जयो० २३/११) परदारगमनं (नपुं०) अन्य की स्त्री का सेवन। 'परस्तस्य दाराः
कलत्रं परदारास्तस्मिन् गमनं परदारगमनम्। (जैन०ल० पृ०६६३)
| परदारक (वि०) परस्त्री गामी 'परेषां दारान् पश्यत्येवंभूतोऽपथ
उत्पथगामी भवन् कुपुरुषाः। (जयो०१० २/१३२) परदारिन् (पुं०) व्यभिचारी, परस्त्रीगामी। परदुःखं (नपुं०) दूसरे का दुःख, अन्य लोगों का कष्ट। परदेशः (पुं०) विदेश, अन्यदेश। (सुद०८८) परदेशिन् (पुं०) विदेशी। परदोहिन् (वि०) विरोधी, शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाला।
परद्वेषिध् (वि०) विरोधी, शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाला। | पर दृष्टिप्रशंसा (स्त्री०) सम्यग्दर्शन को मलिन करने वाली
प्रशंसा, यथार्थ को लुप्त करके किसी अन्य की प्रशंसा। परधनं (नपुं०) दूसरे की संपत्ति। परधर्मः (पुं०) दूसरे का धर्म, अपने धर्म से विमुख। परनिन्दा (स्त्री०) दूसरे के अविद्यमानदोषों को प्रकट करना।
'परेषां भूताभूत दूषण पुरस्सरवाक्यं परनिन्दा'। (जैन०ल.
पृ० ६६३) परनिपातः (पुं०) पश्चवर्तिता। परन्त्वत्र (अव्य०) फिर भी यहां (जयो० १/२९) परन्तु (अव्य०) लेकिन, फिर भी। (सम्य० १३१) परपक्षः (पुं०) शत्रुपक्ष। अन्यपक्ष। (जयो० ५/४) परपदं (नपुं०) उत्तम पद, प्रमुख स्थान। परप्राण-विपत्ति (स्त्री०) दूसरे के प्राणों का विनाश। (वीरो०९/३) परपिंडः (पुं०) परप्रदत्त भोजन। परपुरुषः (पुं०) अपरिचित। परपरिवादः (पुं०) दूसरे के गुण दोषों का कथन। परेषां
परिवादः परपरिवादो विकत्थनम्। परेषां गुण-दोषवचनम्'
(जैन०ल०० ६६९) परपुष्ट (वि.) दूसरे के द्वारा पाला गया। पोषण कारिता
(जयो० १४८६) ०पोषित। (सुद० ८१) परपुष्टः (पुं०) कोकिल, कोयल। परपुष्टा (स्त्री०) वेश्या। परपूर्वा (स्त्री०) दूसरे पति वाली स्त्री। परप्रणेयः (पुं०) दूसरे के कहने पर कोप। परप्रत्यवायकृत (वि०) बिगाड़, विनाश। (समु०७/५३) परप्राणातिपात: (पुं०) दूसरे के प्राणों का घात। परप्रेरणा (स्त्री०) दूसरे से प्रेरणा। (जयो०वृ० ३/५) परप्रेष्यः (पुं०) सेवक, भृत्य। परबन्धन (नपुं०) अपर बन्ध। (समु० १/१७) परब्रह्मन् (नपुं०) परमात्मा। (मुनि०८)
१)
(समु०७/५३)
3) दूसरे के प्रा
परप्रेरणा (
For Private and Personal Use Only