Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 430
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुक्तगत ८४५ मुक्तिः संसारातीत। (जयो०वृ० ११/८८) ०कृत्स्न, विनिवृत्त। (जयो०वृ० १/२२) ०ग्रन्थ परिमुक्त। - मुक्तगत (वि०) मुक्ति को प्राप्त। ०छूटा हुआ। मुक्तजन्मन् (वि०) जन्म रहित। मुक्तजरा (वि०) बुढ़ापा रहित। मुक्तजाति (वि०) उत्पत्ति रहित। मुक्तचारित्र (वि०) चारित्र विहीन। मुक्ततप (वि०) तप रहित। मुक्तदान (वि०) दान रहित। मुक्तदोष (वि०) दोष परिहीन। मुक्तधन (वि०) निर्धन, दरिद्र। मुक्तधर्म (वि०) धर्म से विमुख। मुक्तधाम (वि०) स्थान से परे। मुक्तधैर्य (वि०) धीरता से विमुक्त। मुक्तविधि (वि०) सम्पत्ति विहीन। मुक्तपाप (वि०) पाप परित्यक्त। मुक्तफल (वि०) फल विहीन। मुक्तभाव (वि०) भाव रहित। मुक्तमोह (वि०) हतमोह। ०क्षीणमोह, मोहरहित। मुक्तरत्नत्रय (वि०) रत्नत्रय से पृथक् हुआ। मुक्तरोग (वि०) निरोग हुआ, स्वस्था मुक्तवसन (वि०) वस्त्र विहीन। मुक्तशील (वि०) सिद्धान्त रहित। मुक्तसम्यक्त्व (वि०) सम्यक्त्व रहित। मुक्ता (वि०) [मुक्त+टाप्] मोती। ०वेश्या प्राणिका। गजमुक्ता (जयो० ६/५९) माला (सुद० २/२०) किलांशिकवाश्विति तेन मुक्ता महाशयेनापि सुवृत्तमुक्ता। (सुद० २/२०) मुक्ताकलशः (पुं०) मुक्ता रूप कलश। (जयो० ३/७९) मुक्ताकलापः (पुं०) मोतियों का हार। मुक्तागार (वि०) आगार रहित, घर से विहीन, बेघर। निर्ग्रन्थ। मुक्तागारः (पुं०) मुक्ता समूह। मोतियों की माला। मुक्तागुणः (पुं०) मोतियों का हार। मुक्ताजालं (नपुं०) मोतियों की लड़ी। मुक्तात्मकता (वि०) मुक्तपने को प्राप्त आत्मा वाला। (सुद० १२२) मुक्तात्म-भावः (पुं०) परमात्म भाव। (सुद० २/४२) मुक्तादामन् (नपुं०) मोतियों का हार। मुक्तादिवर्णवशः (पुं०) मोतियों के वर्ण के वशीभूत। (६/१०८) मुक्तापुष्पः (पुं०) चमेली। मुक्ताफलं (नपुं०) मोती, मौक्तिक। (जयो०वृ० ३/७५) (सुद० २/१६) सञ्जातानि मनोहराणि शतशो मुक्ताफलानि स्वयम्। (जयो० ३/९३) मोतियों का फूल। ०सीताफल। कुम्हड़ा। ०कपूर। मुक्ताफलत्व (वि०) मौक्तिकपना। सुवृत्तभावेन समुल्लसन्तः मुक्ताफलत्वं प्रतिपादयन्तः। मुक्तापरित्यक्तो, निष्फलता, (जयो० ६/८८) (वीरो० १/१४) मुक्तं च तदफलत्वं च तन्मुक्ता फलत्वं सफलत्वम्। (वीरो०वृ० १/१४) मुक्ताफलता देखो ऊपर। मुक्ताबीजः (पुं०) मोती रूप बीज। (जयो० ६/८०) मुक्तामणिः (स्त्री०) मोती। मुक्तामय (वि०) मौक्तिक प्रचुरता। (जयो० ६/५८) मुक्तामाला (स्त्री०) मौक्तिक स्रक्। (जयो० १७/५०) मुक्तालता (स्त्री०) मोतियों की माला। मुक्तालयः (पुं०) सिद्धालय। (जयो० २२/६३) मुक्तानां निर्वृतानामालयं (जयोवृ० २२/६३) मुक्तास्थान (मुक्तानां हारगतानां मौक्तिकानामालयो बभूव' (जयो०वृ० २२/६३) मुक्तावलिः (स्त्री०) मोतियों का हार, मौक्तिक स्रक्। (जयो० १७/४९) मुक्ताम्रक्त् (स्त्री०) मोतियों की माला। मुक्ताशुक्तिः (स्त्री०) मुक्ता वाली सीप। मुक्तास्थानं (नपुं०) मोतियों का घोंघा। मुक्ताहारः (पुं०) उपवास, आहार नहीं करना। 'मुक्तः आहारोऽशनं येन तस्य भवः' (जयो० २८/८) मोतियों का हार-मुक्तानां मौक्तिकानां हारो यस्य तस्य भावः' (जयो० २८४८) मुक्तिः (स्त्री०) ०पारमार्थिक सुख। (जयो० २६/१०६) ०जन्म-मरण का अभाव। (सम्य० १/३) अतीन्द्रियसूक्ति। (जयो० ४/३४) ० युक्तिमेति पुरुषो यदि मुक्तिमञ्चितुं। (जयो० ४/३४) ०दुर्भाव जीतने का प्रयत्न। For Private and Personal Use Only

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