Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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बकोट:
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बकोट : (पुं०) बगुला, कंकपक्षी ।
बट् बढ़ना, रखना।
बटुः (पुं०) [ बट्+उ] बालक, लाड़ला, छोकरा, यज्ञोपवीत संस्कार योग्य लड़का ।
बटुकः (पुं०) ० बालक, लड़का, व्यज्ञोपवीत संस्कार युक्त
बालक ।
बडवा ( स्त्री० ) ०घोड़ी, ०दासी ।
बडिश (नपुं०) मछली पकड़ने का कांटा। वंशी । (जयो० २५/७३)
बडवाग्नि (पुं०) समुद्र के भीतर की आग ।
बडिशमांसं (नपुं०) वंशी का मांस (जयो० २५/७७) 'मीनोऽपि यो बडिशस्य मांसं लोस्कण्टकेन सह लग्नं पलमित: ' वणिज् (पुं०) बनिया, व्यापारी। (जयो० २५/७७) अत (अव्य०) [वन्+क्त] ०सम्बोधन, पुकारना ।
० अहो, अरे, अचम्भा व्यक्त करना ।
० निन्दा, अफसोस |
०शोक, खेद, 'बतेति खेदोऽनूभयते' (जयो ९/९२) बदर: (पुं० ) [ बद्+अरच् ] बेर का पेड़ । बदर (नपुं०) बेर, बोर ।
०गंगा स्रोत ।
बदरी (स्त्री०) बोर, बेर।
बदरीतपोवनं (नपुं०) बदरी नामक तपस्थान |
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बदरीफल (नपुं०) बैर, बोर बदरीवनं (नपुं०) बोर की झाड़ी।
बदरीशैलः (पुं०) बदरी पर स्थित पहाड़ ।
बद्ध (भू०क०कृ) [बन्धु+क्त] बंधा हुआ, आबद्ध, जकड़ा हुआ। ०बंदी, पकड़ा हुआ, वेष्टित । (सुद० १/२५) ०संयत
बद्धकक्ष (वि०) रोष दमन करने वाले, क्रोधदमी । बद्धकक्ष्य (वि०) ०क्षमाशील, ०क्रोधशान्त युक्त । बद्धकषाय (वि०) कषाय दबाने वाले। बद्धकोष (वि०) कोप रहित, संयत क्रोध वाले। बद्धचित्त (वि०) स्थिर चित्त, संयत मन वाले बद्धजिह्न (वि०) रस की लोलुपता रहित जीभा बद्धदृष्टि (वि० ) ० टकटकी लगाने वाले। ०दृष्टि की स्थिरता युक्त । बद्धनेत्र (वि०) स्थिर दृष्टि वाले अचल नेत्र बद्धनेपथ्य (वि०) नेपथ्य की ओर खिंचे हुए। रंगमंच के
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बन्ध्
बद्धपरिकर (वि०) सजे हुए, अलंकृत हुए। बद्धप्रतिज्ञ (वि०) दृढ़ प्रतिज्ञ
बद्धप्रलाप (वि०) चार पुरुषार्थों के वर्णन सहित । बद्धभाव (वि०) मुग्ध ।
बद्धमुष्टि (वि०) बंधी हुई मुट्ठी वाले। (जयो० १४ / ३२ ) बद्धमूल (वि०) मूल को धारण किए हुए । बद्धराग (वि०) अनुरक्त, मुग्ध ० सत्कर्म में स्थित
बद्धवसति (वि०) स्थिर स्थान वाला। बद्धवाच् (वि०) चुप रहने वाला। बद्धवेपथु (वि०) कंपायमान। बद्धवैर ( वि०) घृणा से भरा हुआ। बद्धशिख (वि०) चोटी को बांधने वाला । बद्धश्रुत (वि०) गद्य-पद्य बंधन से युक्त । बद्धस्नेह ( वि० ) ०प्रेमासक्त। ० प्रेमबन्धन में बंधा हुआ। बद्धहस्त (वि०) करबद्ध, हाथ से बंधा हुआ। (जयो० १ / ८९ ) बद्धाञ्जलि (स्त्री०) करबद्ध, अंजलियुक्त। (जयो० १६ / १३ ) बद्धेक्षणं (नपुं०) संधृतनेत्र (जयो० १७ /६४)
।
बधू (अक० ) घृणा करना, अरुचि करना, संकोच करना । ० झिझकना, ऊबना।
बधः (पुं०) मारना । ०घात, व्हनन, ०क्षत | बधिर (वि० ) [ बन्ध् + किरच्] बहरा, कानों से नहीं सुनने
वाला।
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बधिरित (वि० ) [ बधिर + इतच् ] बहरा किया गया, बहरा
बनाया गया।
बन्दि (स्त्री० ) [वन्द+इन्] कैदी, बंधुआ ।
० कारागृह युक्त, बंधन युक्त ।
बन्दीगृहं (नपुं०) कारागृह । (जयो०वृ० ८ /६८)
बन्दीजन: (पुं०) बन्दीगृह, स्तुतिपाठक। (जयो० ६ / ३२) बन्धु (सक०) बांधना, कसना, जकड़ना बन्धामि (सुद०७६) ० पकड़ना दबोचना, (बबन्ध)। (जयो० १/४५) ०रोकना, ठहराना।
० दमन करना, संयत करना, रोकना। (सम्य० २९ ) ०धारण करना, निदेशित करना।
० रखना, डालना - बबन्ध । (जयो० १२ / १० )
० निर्माण करना, संरचना करना ।
* अज्ञान चेतना (सम्य०१७) अबोधसंचेतना । (सम्य०११७)

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