Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 404
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्थरा ८१९ मन्दाग्निः ०कोप, क्रोध। मन्दप्रज्ञा (वि०) मूर्ख, अज्ञानी, मूढ, मन्दबुद्धि वाला। गुप्तचर, सूचक। मन्दमति (वि०) मूर्ख, अज्ञानी, मूढ़। (सुद०८०) मंदराचल पर्वत। मन्दमति (स्त्री०० एक रानी। (सुद०८०) ०हरिण। मन्दभागिन् (वि०) भाग्यहीन, दयनीय, दुर्भाग्य शाली। मन्थरा (स्त्री०) कैकेयी की कुब्जादासी। मन्दभाग्य (वि०) देखो ऊपर। मंथराङ्गः (नपुं०) शिक्षित अंग। (वीरो० ४/३७) मन्दमुख (वि०) अप्रसन्न, हर्ष रहित, म्लान मुख। (जयो० मन्थरु (स्त्री०) चमर से उत्पन्न हवा। ७/१०४) मन्थानः (पुं०) [मन्थ्+आनच्] रई का डंडा, मथानी। मन्दयन्ती (स्त्री०) [मन्द+णिच्+शत्+ङीप्]०दुर्गा। मन्थानकः (पुं०) एक प्रकार की घास। ०मन्द होती हुई, धीमी होने वाली। मन्थानदण्डः (पुं०) मथानी का दण्ड। (जयो० २१/५७) मन्दर (वि०) [मन्द्+अर] धीमा, सुस्त। मन्थिन् (वि०) [मन्थ् णिनि] मन्थन करने वाला, मथने वाला। मोटा, सघन, दृढ़। मन्थिन् (पुं०) बल, वीर्य, शुक्र। विस्तृत, स्थूल। मन्थिनी (स्त्री०) मथानी, बिलौनी, दधिपतिनी। (जयो० २५/६७) | मन्दरः (पुं०) ०मन्दराचल पर्वत, मेरु पर्वत, महापर्वत। मन्थानरज्जु (जयो० २१/५७) मथने वाली (जयो०७० (जयो० ११) (भक्ति० ३४) २५/५०) मथानी। मन्द् (अक०) मन्थर होना, सुस्त होना। मोतियों का हार। शिथिल होना, टहलना, घूमना। स्वर्ग। चमकना। ०दर्पण। मन्द (वि०) [मद्+अच्] सुस्त, धीमे चलने वाला, विलंबकारी। | मन्दरग्राय (वि०) पवर्ततुल्य। (जयो० २१/५७) अकर्मण्य, उद्यमहीन। मन्दरावासः (पुं०) दुर्गा। ०थोड़ा, अल्प, जरा सा। मन्दवीर्यः (पुं०) दुर्बल। ०क्षीणकाय। ०बलहीन, दुर्भाग्य ग्रस्त। मन्दवृष्टिः (स्त्री०) हल्की फूहार, थोड़ी बरसात, रिमझिम मन्दं (अव्य०) धीमे से, क्रमशः धीरे धीरे। बारिश। मन्दकर्ण (वि०) धीरे सुनने वाला। मन्दसानः (पुं०) [मन्द्+शानच्] ०अग्नि। मन्दकलः (वि०) सच्छिद्रकर। (जयो० १२/१३१) ०जीवन। मन्दकान्तिः (स्त्री०) चंद्रमा। शशि, रजनीकर। निद्रा। मन्दकारिन् (वि०) धीरे धीरे काम करने वाला। मन्दगति मन्दस्पन्दित (वि०) धीरे धीरे चलने वाला, धीरे चलायमान। शील। (जयो० १८/९१) मन्दगः (पुं०) शनि। मन्दस्मितः (पुं०) हंसी, हर्ष, मंद मन्द मुस्कान। (दयो० ५३) मन्दगतिः (स्त्री०) धीमी गति। मन्दस्मितयुक्त (वि०) सहास, हसी सहित। (जयो०वृ० ११/४९) मन्दगामिन् (वि०) धीरे धीरे चलने वाला। मन्दहासः (पुं०) स्मित, हर्ष युक्त। (जयो० २/१५५) (सुद०२/८) मन्दगामिनी (स्त्री०) मन्द गति वाली। मन्दस्मित व्यक्ति। मन्दचेतस् (वि०) मन्दबुद्धि वाला मूर्ख, मूढ़, अज्ञानी। मन्दहास्यः देखो ऊपर। अचेत, असावधान। मन्दाकः (पुं०) [मन्द्+आक्] धारा, नदी प्रवाह। मन्दत्वः (वि०) मूर्खता। (वीरो० २२/१०) मन्दाकिनी (स्त्री०) गंगा नदी। मन्दधी (पुं०) मूर्ख, अज्ञानी, मूढ़। मन्दाक्ष (वि०) दृष्टि की कमी, कमजोर दृष्टि वाला। मन्दपद (वि०) धीरे चलने वाला। (जयो० १/३२) मन्दाक्षं (नपुं०) लज्जाशील। मन्दपाद (वि०) धीरे धीरे गमन करने वाला। (दयो० २०) मन्दाग्निः (स्त्री०) दुर्बल पाचन शक्ति। For Private and Personal Use Only

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