Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 417
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मांसपिटकः ८३२ माचिकव्वां मांसपिटकः (पुं०) मांस समूह, मांस का पिटारा। मांसपित्तं (नपुं०) हड्डी। मांसपेशी (स्त्री०) पुट्ठा, मांस का टुकड़ा। मांसभक्षणं (नपु०) मांसाहार। (जयो० २/१२५) (वीरो०१८/३६) पल भक्षण। मांसभुग (वि०) मांस भोजी। विप्रोऽपि चेन्मांसभुगस्ति निद्यः सद्-वृत्तभावाद् वृषलोऽपि वन्द्यः। (वीरो० १७/१७) मांसभेतृ (वि०) मांस काटने वाला। मांसभेदिन् (वि०) मांस काटने वाला। मांसभोजी (वि०) मांसभुग, मांसाशिन्, मांस खाने वाली। (जयो० १५/१२) मांसयोनिः (स्त्री०) मांस से बनाजीव। मांसल (वि०) पुष्ट, हृस्ट-पुष्ट, शक्ति सम्पन्न। (सुद०१०१) (दयो०६७) मांसविक्रयः (पुं०) मांस की बिक्री। मांसवृद्धिः (स्त्री०) मांस का बढ़ना। (सुद० १०२) मांसाशनं (नपुं०) मांसाहार। (दयो० ९६) मांसाशिन् (वि०) मांसभोजी। (जयो० १५/१२) मासिकः (पुं०) कसाई, मांस विक्रेता। माकन्दः (पुं०) आम्रवृक्ष (वीरो० ६/२०) ०आम्र तरु। ०आबलक तरु। माकन्दक्षारकः (पुं०) आम्रमंजरी। (जयो०६/१०१) माकर (वि०) मगरमच्छ से सम्बंधित। माकरन्द (वि०) [मकरन्द+अण] फूलों के रस से प्राप्त। मधुमिश्रित। ०पराग समन्वित। माकलिः (०) इन्द्र का सारथि। ०चन्द्रमा। माक्षिक (वि०) मधुमक्खियों से उत्पन्न। माक्षिकं (नपुं०) मधु, शहद। (जयो० २/१३०) माक्षिकं मधु जायते। माक्षिकजं (नपुं०) मोम। माक्षिकफलं (नपुं०) नारिकेल फल। माक्षिकशर्करा (स्त्री०) कन्दयुक्त शर्करा। मागध (वि.) मगध देश में उत्पन्न। मागधः (पुं०) चारण, बन्दिजन (वीरो० ४/२८) स्तुतिपाठक। (जयो० १८/११) ०सुर, देव। मागधाः सुरा देवा। (जयो० २६/६३) मागधवर्गः (पुं०) बन्दिजन। (जयो० २६/२८) मागधः (पुं०) मगध नरेश। मागघसुरः (पुं०) मागधदेव। (वीरो० १५/९) मागधा (स्त्री०) [मागध+टाप्] बड़ी पीपल। मागधिका (स्त्री०) [मागध+ठक्+टाप्] बड़ी पीपल। मागधी (स्त्री०) मागधी प्राकृत, मगध देश में प्रचलित प्राकृत, जिसमें 'र' को ल और श स ष को श प्रयुक्त किया जाता है-सरोज-शलोज। बड़ी पीपल। सफेद जीरा। परिष्कृत खांड। छोटी इलायची। मागिरि (स्त्री०) लक्ष्मी, सरस्वती। (जयो०६/१०९) माघः (पुं०) माघकवि जिसने शिशुपालवध की रचना की। __०माघमास। (वीरो० ६/२४) माधी (स्त्री०) माघमास की पूर्णिमा। माध्यं (नपुं०) [माघे जातम्-माघ-यत] कुन्दलता का पुष्प। माङ्क (अक०) कामना करना, चाहना, लालसा करना, इच्छा करना। माङ्गलिक (वि०) [मङ्गल+ठक्] ०शुभ, सुखद, यथेष्ट। मंगलसूचक। (जयो०वृ० ३/३६) माङ्गलिककार्यः (पुं०) शुभ कार्य। माङ्गलिकगेहं (नपुं०) शुभग्रह, अच्छाघर। माङ्गलिकप्रसंगः (पुं०) इष्ट प्रसंग। माङ्गलिकसूत्रं (नपुं०) पवित्रसूत्र। (जयो० ३/३६) माङ्गल्य (वि०) [मङ्गल+ष्यञ्] सौभाग्य सूचक, इष्ट संकेत वाला। माङ्गल्यं (नपुं०) सौभाग्य, मंगल, कल्याण। आशीष, शुभकामना। ०पर्व, त्योहार, उत्सव, व्रत। माङ्गल्यनंदी (वि०) शुभ संदेश। माङ्गल्यभावः (पुं०) कल्याणकारी भाव। माङ्गल्यमृदङ्गः (पुं०) शुभसूचक ढोल। माचः (पुं०) [मा+अच्क ] मार्ग, सड़क, पथ, रास्ता। माचलः (पुं०) [मा+चल्+अच्] चोर, लुटेरा। मगरमच्छ। माचिकव्वा (स्त्री०) मारसिंगय्य की भामिनी, महावीर पथानुगामिनी नारी। माचिकव्वेऽपि जैनाऽभून्मारसिंगय्य For Private and Personal Use Only

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