Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मातृका
८३४
मादकः
मातृका (स्त्री०) माता, जननी। (भक्ति० २२)
०माता।
दादी। ०धात्री।
दाई। ०देवमातृका।
० अक्षरांकन। मातृगणः (पुं०) मातृसमूह। मातृगन्धिनी (स्त्री०) विपरीत प्रवृत्ति वाली माता। मातृगामिन् (वि०) माता के साथ गमन करने वाला। मातृगोत्रं (नपुं०) मातृकुल। मातृघातः (पुं०) मातृकुल नाशक। मातृदेव (वि०) मातृतुल्य पूजा। मातृपक्ष (वि०) मातृकुल से सम्बन्धित। मातृपितृ - माता पिता। मातृपूजनं (नपुं०) मातृ का पूजन। माँ के प्रतिश्रद्धा। मातृबन्धु (पुं०) माता के कुटुम्बीजन। मातृमण्डलं (नपुं०) मातृ समूह। मातृसकृत (वि.) जननी के वचन। (जयो० २३/५७) मातृवियोगवाडवः (पुं०) माता के वियोग की वडवानल
मातुर्यो वियोगः स एव वडवो जलाग्नि। (जयो० १३/२१) मातृस्थानं (नपुं०) क्रोड, अंक, गोद। (जयो०वृ० ३/२३) मातृस्वसेयः (पुं०) मौसी का लड़का। मातृस्वेयी (स्त्री०) मौसी की लड़की। मात्र (वि०) इतना, केवल, इतना ही। 'समयोचित मात्र
निष्ठितिर्घटिता' (सुद० ३/११)
०माप, प्रमाण। मात्रचित्तं (नपुं०) एकमात्र चित्त। स्वभावसम्भावनमात्रचित्ताः।
(सुद० ११८) मात्रधारा (स्त्री०) एक मात्र प्रवाह। मात्रधनं (नपुं०) केवल धन। मात्रपदंचारी (वि०) केवल पैदल चलने वाले। मात्रा (स्त्री०) [मात्र+टाप्] मात्रा, माप, नाप, सीमा।
नियम, मानक। ०भाग, अंश, हिस्सा। धन, सम्पत्ति। मात्राएं, अ, इ, उ आ आदि की मात्राए-नागरी के अक्षरों पर लगने वाली मात्राएं। (दयो० ७६)
आभूषण, अलंकार। ०कान की बाली। मात्राछन्दस् (नपुं०) अर्धमात्रा का क्षण।
०मात्रिक छन्द, मात्राओं की गिनती का छन्द। जिस
विनिमय मात्राओं की गिनती के आधार पर होता है। मात्राधिकारिणी (वि०) मात्राओं की अधिकारिणी। (जयो०
११/७८) मात्रारोपः (पुं०) मात्राओं का आरोप। अकारादिस्वरयां संयोगः। मात्रावृत्तं (नपुं०) मात्रिक छन्द। मात्रास्पर्शः (पुं०) भौतिक संपर्क। मात्रिकछन्दस् (नपुं०) मात्राओं की गिनती का छन्द।
जाति छन्द। (जयो० २२/८१) मात्रिका (स्त्री०) [मात्रा+टक्+टाप्] मात्रा, छन्दशास्त्र, हस्वस्वर
उच्चारण का समय। मात्सर (वि०) ईर्ष्यालु, विद्वेषी, डाह करने वाला, जलने वाला। मात्सरिक (वि०) ईर्ष्यालु, निन्दिन। मात्सर्य (नपुं०) ईर्ष्या, डाह, असूया, विद्वेष, दूषण, निन्दा।
(सुद० ११०) ०आहारादि देते हुए भी आदर न रखना।
हीनभाव होना। 'प्रयच्छतोऽपि सत आदरमन्तरेण दानं मात्सर्यम्' (जैन ल० ९०५)
ज्ञान के बन्धक कारण-' यावद्यथावद्देयज्ञानप्रदानं मात्सर्यम्' (त०वा० ६/१०) गृहीतं वस्त्रमित्यादियन्मायाप्रतिरूपकम्।
मात्सर्यादिनिमित्तं च सर्वानर्थस्य साधकम्।। (वीरो० १३/३५) मात्स्यिकः (पुं०) [मत्स्य+ठक्] मछुवा। माथः (पुं०) [मथ्+घञ्] मंथन, विलोडन।
विनाश, घात। ०मरणा
मार्ग, पथ, रास्ता। माथनार्थ (वि०) परिमातुं विनाशार्थ। (जयो० १२/४९) माथुर (वि०) [मथुरा+अण्] मथुरा से आया हुआ। मादः (पुं०) [मद्+घञ्] नशा, मद, बेहोश।
हर्ष, खुशी।
अहंकार, अभिमान, घमण्ड। मादकः (वि०) [मद्+णिच्+ण्वुल्] नशा करने वाला, उन्मत्त
बनाने वाला। उत्तेजक।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450