Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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मानतुंगाचार्यः
८३६
मानित
मानतुंगाचार्यः (पुं०) भक्तामरकाव्य के प्रणेता। (जयो०१९/८९) मानद (वि०) सम्मान करने वाला। मानदण्डः (पुं०) मापदड (सुद० १/३१) परिच्छेदकदण्ड।
(जयो० ६/११३)
गज, पैमाना। मानधन (वि०) सम्मान रूपी धन से युक्त। मानधानिका (स्त्री०) ककड़ी। मानपरिखण्डनं (नपुं०) अहंकार का विनाश। मानभंग (वि०) अभिमान की समाप्ति। माननीय (वि०) सम्मानीय, पूजनीय। (समु० ९/२७) माननीया (स्त्री०) गर्ववती, सम्मानयोग्या, निश्चल भावा।
मानेनाभिनेन नीयां नीयमानां गर्ववती। (जये०वृ० ४/१०३) मानयोग (वि०) मापने योग्य। मानव (वि०) मनु से सम्बंधित, मानव सम्बंधी। मानवः (पुं०) मनुज, मनुष्य। जो हेय-उपादेय को जानते या
मानते हैं वे मानव हैं।
मनुष्यजाति। मानवता (वि०) मनुजता, मनुष्यता, मानवीयता। (सुद० १३१)
समाश्रिता मानवताऽस्तु तेन समाश्रिता मानवताऽस्तु तेन। पूज्येष्वथाऽमानवता जनेन समुत्थसामा नवताऽऽप्यनेन।।
मानवत्, अहंकार युक्त। (समु० ८४) मानवधर्म (पुं०) मनुष्य धर्म। (वीरो० १८/४३) मानवपरम्परा (स्त्री०) मानवमाला, मनुज पद्धति, मनु की
परम्परा। (जयो० ५/३९) मानवभावः (पुं०) मनुजभाव। मानवमहापरिवेशः (पुं०) विशालजन समूह। (जयो०५/५७) मानवमाला (स्त्री०) मानव परम्परा। (जयो० ३/३९) मानवानां
माला परम्परा यस्याः । ०जनसमूह, ०मनुज समुदाय। मानवमैत्री (वि०) मानवीय मित्रता। मनुज मैत्रीभाव। मानवयोगः (पुं०) मनुज समुदाय। मानवसमुदायः (पुं) मनुष्य समूह, जनमंच। (जयो०वृ० ४/२८) मानसंस्तुत (वि०) मनुष्य द्वारा पूजित, मनुज समूह से प्रशंसित।
(जयो०वृ० १९/३८) मानवसृष्टिः (स्त्री०) मनुष्य संरचना, मनुष्य समूह। चित्तभित्तिषु
समर्पित दृष्टौ। तत्र शश्वदपि मानवसृष्टौ। (जयो०५/१९) | मानवाङ्गं (नपुं०) मनुजदेह। (जयो० ४/४) मानवी (स्त्री०) मनुष्यिणी, नारी, स्त्री। मानवीक्षित (वि.) मान से देखी गई। (जयो० २००९)
मानवोचितः (पुं०) मनुष्यों के अनुकूल, मनुष्योचित। (जयो०
२/१०७) मानव्यं (नपुं०) लड़कों का समूह। मानस (वि०) [मन एव, मनस इदं वा अण्] ०मन से
सम्बन्धित, मानसिक। मन से उत्पन्न। उपलक्षित, ध्वनित।
मानसरोवर में रहने वाला। मानसं (नपुं०) चित्त। (जयो० ३/९२) मनवर्गणा से युक्त।
०हृदय। मन मणो चेव माणसो। (सुद० २/१३)
०मान सरोवर। (जयो०१/७४) मानसपक्षी (स्त्री०) हंस। (जयो०७० ३/९३) मानवं चित्तमेव
पक्षी, यद्वा मानसपक्षी-हंस। (जयो०वृ० ३/६९) मानसमयः (पुं०) मान सरोवर। (जयो० ३/७) पद प्रतिष्ठा। मानसराजहंसी (स्त्री०) मान सरोवर की राजहंसी। (सुद०
२/९) मानसरुचिः (स्त्री०) मन की रुचि। (मुनि० २७) मन की
इच्छा, मनोकामना। मानसरोवरः (पुं०) मानसरोवर नामक झील। (जयो०वृ०१/७४) मानसवत् (वि०) मन की तरह। मानसस्थिति (स्त्री०) चित्तैकाग्रता। मानसामृतं (नपुं०) मन का अमृत, मनोल्लास। (जयो०२८/९९) मानसिक (वि०) [मनस्+ठञ्] मन से उत्पन्न, मन संबंधी।
(जयो० १२/९९) मानसिकत्यागः (पुं०) मन सम्बंधी भावों का परित्याग। मानसिक रोगः (पुं०) मन सम्बंधी रोग। मानसिक व्याधिः (स्त्री०) मानसिक पीड़ा। मानस्तम्भः (पुं०) देवस्तम्भ। स्तम्भाः पुनर्मानहरा लसंति-मान
को हारण करने वाला। (वीरो० १३/३) मानहर (वि०) पराजयकारक। (जयो० २८/६८) (वीरो०
१३/३) मानहीन (वि०) अभिमान रहित। विनयेन मानहीनं विनष्टैनः
पुनस्तु नः। मुनयेनमनस्थानं ज्ञानध्यानधनं मनः।।
(वीरो० २२/३९) मानि (अव्य०) भले ही। (जयो०१/७२) मानिका (स्त्री०) एक तौल विशेष। मानित (भू०क०कृ०) सम्मानित, आदरयुक्त, समाहत। (जयो०
७/६३) ०माप युक्त, ०मान सहित। ०प्रतिष्ठित। (सुद० ३/३)
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