Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
मनोप्रसादः
मनोप्रसादः (पुं०) मन को शांति । मनोप्रीतिः (स्त्री०) मानसिक संतोष । मनोभवः (पुं०) कामदेव |
मनोऽभिलषित (वि०) मन को प्रिय। (जयो० १ / ६५ ) मनोभू (पुं०) कामदेव । (जयो०वृ० ३/१२) ०खिन्नता, रागद्वेष आदि युक्त ।
मनोभूसदृश (वि०) कामवत्, कामदेव की तरह। (जयो०वृ०३/१२) मनोमथन: (पुं०) कामदेव |
मनोमालिन्य (वि०) मन की मलीनता। (जयो० ४ / २७ ) मनोमोहकः (पुं०) वल्लभ, प्रिय। (जयो०वृ० १२ / ६ ) मनोमोहमयी (वि०) सम्मोहिनी, मञ्जुल । (जयो० ३ / ११ ) (जयो० ११ / ७० )
मनोयायिन् (वि०) इच्छानुसार गमन करने वाला, तेज, फुर्तीला । मनोयोगः (पुं०) दत्तचित्तता । ०मनोविषय, ० मनावलम्बन । मनोयोनि (पुं०) कामदेव |
मनोरञ्जनं (नपुं०) मन को प्रसन्न करना, कौतुक । (जयो०वृ०३/६८)
मनोरथ: (पुं०) मन की चाह, मन की इच्छा। (जयो०४/१७) ० अभीष्ट, इष्ट। (जयो०वृ० २ / ३६ )
० कांक्षित, इच्छित। (जयो० ९/६० )
मनोरथ- कल्पलता ( स्त्री०) इच्छा पूर्ति कल्प लता, ० इच्छा पूर्ति करने वाली कल्पवृक्ष की लतिका । (जयो०
९/५०)
मनोरथलता (स्त्री० ) इच्छापूर्ति लता । (जयो० २ / ९१ ) मनोरथसाधकः (पुं०) इष्टसिद्धि। (जयो० २/३६) मनोरथसाफल्य (वि०) इष्टकार्य की सफलता। (दयो० २/३६) ० अभीष्ट सिद्धि ।
मनोरथसिद्धि (स्त्री०) इष्टकार्य की सिद्धि। (जयो०वृ० १ / १०६) मनोरथारूढ (पुं० ) इष्टकार्य से युक्त । ( वीरो० १२ / ३९ ) मनोरम (वि०) आकर्षक, सुखद, रुचिकर, प्रिय, सुंदर । मनोरमत्व (वि०) सुंदरता । (जयो० १ / ०१४) मनोरमदृश्य (वि०) दर्शनीय स्थल । मनोरमप्रकृतिः (स्त्री०) मनोनुकूल वातावरण। मनोरमा ( स्त्री०) प्रिय लक्ष्मी, अर्धाङ्गिनी, वल्लभा ।
० सुदर्शन सेठ की पत्नी ( सुद० ११५) स्नेहासिकता । ( सुद० ११३) मनोरमापि चतुरा समाह समयोचितम् । (सुद० ११३)
मनोरमाधिपतिः (स्त्री०) लक्ष्मी पति ।
८१७
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मनोवचनं (नपुं०) मन वचन । (सुद० ८७)
मनोवृत्तिः (स्त्री०) मन की भावना, चित्तभाव । (जयो० २ / ३५) (जयो० २०/८३)
मनोहर (वि०) सुखद, लावण्यमय, मनोरम, रमणीय, सुंदरता युक्त । (जयो० २ / १४६) मञ्जुल (जयो०वृ० ३/७५) मनोहरगात्री (वि०) सौंदर्य से परिपूर्ण शरीर वाली। (जयो० ६/७५) ० लावण्यपूर्ण देहवाली ।
मनोहरतायुक्त (वि०) कलताभृत, (जयो० १३/६०) रमणीयता
युक्त।
मनोहराङ्गी (स्त्री०) सुंदर स्त्री । (समु०४/२५)
मन्तुः (पुं० ) [मन्+तुन्] दोष, अपराध । (जयो० १ / ३९ ) मन्तुः स्यादपराधेऽपि मानवे परमेष्ठिनि '
० मनुष्य, मानव इति वि।
० परमेष्ठिनि इति वि (जयो० २७/३२ ० ऋषि, मुनि, विद्वान् ।
मन्त्रकुशल:
मन्तुः (स्त्री०) ज्ञान, समझ, बुद्धि ।
मन्तुमदक्षरं (नपुं०) मन्तु मद अक्षर । तवर्ग से लेकर मतक के अक्षर मन्तुमदक्षराणां मवर्ग-तवर्ग- रूपाणामक्षराणां कलनाः प्ररूपणाः' (जयो०वृ० १ / ३९ )
० अपराधकारी शब्द। (जयो०वृ० १ / ३९ )
मन्त्र ( अक० ) विचार करना, सलाह लेना, मंत्रणा करना, विचार-विमर्श करना।
मन्त्र (सक०) मुग्ध करना, कहना, बोलना ।
० गुनगुनाना ।
मन्त्रः (पुं०) [मन्त्र् + अच्] मन्त्रशास्त्र (जयो० २ / ६१ ) ० सम्मोहन, वशीकरण ।
० वार्ता, बातचीत, परामर्श, मंत्रणा विचार । ० योजना, संकल्प, रहस्यपूर्ण वार्ता ।
० सिद्धि मंत्र ।
० सूत्र | संक्षिप्त विवरण, ०लघु विचार, ०सूक्ष्म निरूपण ।
० पञ्चाङ्ग सहित ।
० सामर्थ्य दायक |
० आपत्ति प्रतिकारक ।
मंत्रकरणं (नपुं०) सस्वर उच्चारण । मन्त्रकार: (वि०) मन्त्र बनाने वाला । मन्त्रकालः (पुं०) मंत्रणा / परामर्श का समय । मन्त्रकुशलः (पुं०) मंत्र में प्रवीण ।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450