Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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मल्लः
८२५
मसूरिका
मल्लः (पुं०) पहलवान, कसरती, मुक्केबाजी।
मशकः (पुं०) [मश्+कुन्] मच्छर, पिस्सू, डांस। ०पानपात्र, प्याला।
चमड़े का थैला, मशक। गाल, कपोल, गण्डस्थल।
मशकवरणं (नपुं०) मच्छर उड़ाने का चंवर। मल्लकः (पुं०) दीपट, तेलपात्र, दीपक, दीवा।
मशकहरी (स्त्री०) मसहरी, मच्छरदानी। मल्लक्रीडा (स्त्री०) मल्लयुद्ध।
मशकिन् (पुं०) [मशक+इनि] गूलर का पेड़। मल्लज (नपुं०) काली मिर्च।
मशुनः (पुं०) कुत्ता, श्वान। मल्लतूर्यं (नपुं०) युद्ध का बिगुल।
मष् (सक०) चोट पहुंचाना, क्षति करना, नाश करना। मल्लभीत (वि०) मदुक्त। (जयो० १७/२४) आसक्ति जन्य। मार डालना। मल्लभू (स्त्री०) युद्धभूमि, रणस्थल।
मषिः (स्त्री०) स्याही। ०अखाड़ा।
०काजल। मल्लभूमि (स्त्री०) मल्ल स्थान, अखाड़ा, व्यायामशाला। मषिकर्मन् (पुं०) लेखन क्रिया। मल्लयुद्धं (नपुं०) द्वन्द्व युद्ध, कुश्ती करना, समान बलिष्ठ ] मषिवर्तिन् (वि०) अंधकार में प्रवर्तन करने वाला। (जयो० व्यक्तियों द्वारा लड़ना।
१२/२) स्याही से युक्त। मल्लविद्या (स्त्री०) मल्लयुद्ध की कला।
मषिपात्रं (नपुं०) स्याही का दवात। (जयो० २१/३२) मल्लशाला (स्त्री०) व्यायामशाला। अखाड़ा।
मस् (सक०) तोलना, मापना। मल्लि (पुं०) मल्लिनाथ तीर्थकर, उन्नीसवें तीर्थंकर का नाम। रूप बदलना। (भक्ति० १९)
मसनंः (पुं०) [मस्+ ल्युट] मापना, तोलना। मल्लि (स्त्री०) चमेली।
मसकपूरण: (पुं०) एक यति का नाम। (जयो० २३/८७) मल्लिका (स्त्री०) प्रसेनजित राजा की रानी।
मसरा (स्त्री०) [मस्+अरच्+टाप्] मसूर दाल। मलिका, राजरानी। (जयो० ९/७७) मल्लिकामहिषी मसार: (पुं०) [मसं परिमाणं ऋच्छति।] [मस्+ऋ+अण्चात्सीतप्रसेनजिन्महीपतेः। माला (जयो० ५/७७) (वीरो० मसार कन्] पन्ना। १५/२८)
मसि (पुं०/वि०) [मस्+इनि] स्याही, काजल, ०मसिविद्या, मल्लिगंधि (नपुं०) अगर गंध। चंदन की सुगन्ध।
०लेखन आदि की कला, ऋषभ के द्वारा सर्वप्रथम छह मल्लिनाथः (पुं०) उन्नीसवें तीर्थंकर।
विद्याओं को जन-जन के लिए शिक्षा दी उसमें मसिविद्या कालिदास के संस्कृत काव्यों पर टीका/भाष्य लिखने वाला भी एक कला है।
कवि। इस भाष्यकार ने रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, मसिकूपी (स्त्री०) स्याही का पात्र। किरातर्जुनीय, नैषधीयचरित, शिशु पालवध जैसी संस्कृत मसिधानं (नपुं०) दवात। कवियों की कृतियों पर चौदहवी पंद्रहवी शताब्दी में मसिधानी (स्त्री०) दवात, मसिपात्र।
टीकाएं लिखीं। जो वर्तमान युग में अधिक प्रसिद्ध हैं। मसिपण्यः (पुं०) लिपिकार, लेखक। मल्लिमाला (स्त्री०) जातिकुसुमस्रग। (जयो० २०/३५) । मसिपथः (पुं०) कमल, लेखनी। मल्लीकरः (वि.) [अमल्लमपि आत्मानं मल्लमिव करोति] मसिप्रसू (स्त्री०) लेखनी। कोर।
मसिवर्धनं (नपुं०) लोबान। मल्लु (पुं०) भालू, रीछ।
मसुरः (पुं०) मसूर दाल। ०तकिया। द्विदलान्न भेद। मव् (सक०) कसना, बांधना।
(जयो० १२/१२६) मव्य (सक०) बांधना, जकड़ना।
मसुरा (स्त्री०) ०मसूरदाल। मश् (अक०) गुनगुनाना, गुञ्जन करना, भिनभिनाना। ०पण्याङ्गना, वेश्या। ०क्रोध करना।
मसुरोचितः (पुं०) मसूरदाल। (जयो० १२/१२६) मशः (पुं०) [मश्+अच्] गूंजना, गुनगुनाना।
मसूरिका (स्त्री०) [मसूर+कन्+टाप्] ०खसरा रोग।
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