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बहुतृणं
बहुतृणं (नपुं०) अधिक तृण युक्त । बहुत्वच् (पुं०) भोजपत्र, भोजवृक्ष । बहुदक्षिण (वि०) उदार, दानशील, अधिक उपहार देने वाला। बहुदानविधाकारक (वि०) बड़ा दानी (समु० २ / १६ ) बहुदायिन् (वि०) अधिक दानी, उदार, दानशील। बहुदुग्ध (वि०) अधिक दूध पर्याप्त दूध, दूध की प्रचुरता । बहुदोष (वि०) ०दोषों की अधिकता, ० विशाल अवगुण, ० अधिक दोष ।
० अपराध युक्त, भयदाई।
बहुधन (वि०) अधिक धनवान्, पर्याप्त धन वाला। बहुधा (अव्य० ) [ बहुधाच्]० प्राय: कई तरह से, विविध तरह से।
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०बारंबार, भिन्न-भिन्न रूप से (जयो० ३/८) बहुधान्य (वि०) नाना प्रकार के धान्य, विविध अनाज संचय केन्द्र (दयो० १/२) विविध व्रीही । (जयो० ३/८) बहुधान्यगुणार्जन (वि०) नाना प्रकार के धान्य गुणों का उपार्जन । (जयो० ४ / ६७)
० नाना प्रकार के अध्ययन गुण मति में धारण करतेबहुधाऽनेकप्रकारेण अन्येषां विप्रादीनां ये गुणा अध्यापनादयस्तेषामर्जने मतिमुपैति (जयो०० २१ / ६७ ) बहुधान्यराशिः (स्त्री०) अत्यधिक धान्य समूह (सु०१ / २१ ) बहुधावलिधारिणी (वि०) प्रायः झुर्रियों को धारण करने
वाली। (जयो० २०/२)
बहुधेनुक (वि०) बहुत दूध देने वाली गायों का समूह। बहुनाद: (पुं०) शंख,
बहुनिष्कपट (वि०) अधिक सरल, ऋजुता युक्त (समु०
९/३)
बहुपत्र (वि०) बहुत पंखों वाला।
० अधिक घोड़ों वाला।
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बहुपत्र (पुं०) प्याज।
बहुपत्ररथ (वि०) बहुत से घोड़ों वाला रथ । बहूनि पत्राणि येषां ते रथा वेतसा यत्र तत्।
• बहूनि पत्राणि वाहनानि रथाश्च यत्र । (जयो०वृ० १३/७४) बहुपादपः (पुं०) बड़ा वृक्षा बहुपुण्यसत्त्व (वि०) विविध पुण्य से युक्त जीव। (सुद०
१/३५) बहुपुष्प: (पुं०) मूंग ।
० निम्बतरु, नीम का पेड़ ।
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बहुप्रकार (वि०) विविध रूप का, अनेक तरह का । बहुप्रज (वि०) अनेक संतानोत्पत्ति वाला। बहुप्रतिज्ञ (वि०) नाना प्रतिज्ञ वाला ।
० विविध पंक्ति वाला।
बहुलापाप
बहुप्रद (वि०) अधिक उदार, दानशील।
बहुप्रयास (वि०) अधिक प्रयास करने वाला। (दयो० ८५) बहुप्रसू (स्त्री० ) अनेक शिशुओं को जन्म देने वाली स्त्री । बहुप्रेयसी (वि०) बहु प्रेमिका वाला •अधिक प्रेमी बहुफल (वि०) अधिक लाभ वाला।
बहुफल: (पुं०) कदम्ब वृक्ष । बहुबल: (पुं०) सिंह ।
बद्धबीजकः (पुं०) अधिक बीजों वाले
बहुभव्य (वि०) अत्यन्त सुंदर, अति मनोहर । (जयो० ४ /७) बहुभाषिन् (वि०) मुखरी, वाचाल, अधिक बोलने वाला। बहुमञ्जरी (स्त्री०) तुलसी पादप ।
बहुमञ्जुलता (स्त्री०) अधिक सुंदर लता (सुद० ३/३३) बहुमतित्व (वि०) तीव्र बुद्धि वाला (भक्ति० ८ ) बहुमलं (नपुं०) सीसा।
बहुमान (वि०) आदर करने वाला, सम्मान देने वाला बहुमानं पूजा - सत्कारादिकेन पाठादिकं बहुमानाचारः । (मूला०वृ० ५/७२)
० प्रीतिविशेष, सकलकल्याण |
बहुमानाचार: (पुं०) ज्ञानाचार के आठ भेदों में अंतिम भेद
( भक्ति० ८ )
० समृद्ध, भरा हुआ, पूर्ण ।
० संयुक्त, संलग्न |
० यथेष्ठ, पुष्कल, विपुल ।
बहुलं (नपुं०) विस्तार करना, बढ़ाना, वृद्धि करना । बहुलतर (वि०) अधिकतर, अधिकांशतः 1 बहुलवणं (नपुं०) लवण युक्त भूमि । ( दयो० ८ ) बहुहरि (पुं०) सिंह |
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बहुलरहित (वि०) अत्यधिक हरयाली युक्त । ०बहुत हरि भक्ति वाला (दयो० ९) बहुला ( स्त्री० ) ०गाय ।
इलायची। ०नील पादप ।
बहुलापाप (वि०) दुःखपूर्ण, कष्टसहित। (जयो० २३/६६ ) ० यातूनी, वाचाल