Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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मङ्गलप्रद
८०४
मञ्चः
मङ्गलप्रद (वि०) आनन्द प्रदान करने वाला। मङ्गलमात्रभूषण (वि०) मंगलप्रद वस्त्र अलंकरणादि। मङ्गललाजा (स्त्री०) मांगलिक लाई। (जयो० १६/१)
शुभसूचक धान्य लाजा। मङ्गलवचस् (पुं०) शुभवचन, आशीषवचन। मङ्गलवादः (पुं०) आशीवचन, शुभाशीष। मङ्गलवाद्यं (नपुं०) शंखनाद, तूर्योदोष। मङ्गलवारः (पुं०) भौमवार, मंगलवार। ममङ्गलविधिः (स्त्री०) शुभकार्य की विधि। मङ्गलशब्दः (पुं०) अभिवादन, प्रणम्यभाव, आशीषवचन।
उन्नतिसूचक शब्द। मङ्गलसिंहासनं (नपुं०) हरिपीठ, सिंहासन। (जयो०वृ० २६/९)
कल्याणकारक पीठ। उच्च स्थान बैठने का। मङ्गलसूत्रं (नपुं०) मंगलाचरण, मंगलस्मरण। मङ्गलस्मरणं (नपुं०) मंगलाचरण। मङ्गलस्नानं (नपुं०) मङ्गलाप्लावन, यथेष्ठस्थान, उत्तम स्नान।
(जयो० १/५८) मङ्गलाक्षतं (नपुं०) शुभसूचक अक्षत, केसर से परिपूरित अक्षत। मङ्गलाक्षतारोपणं (नपुं०) शुभ अक्षताञ्जलि क्षेपण।
(जयो०वृ० १२/२१) मङ्गलागुरु (पुं०) चंदन का एक वृक्ष। मङ्गलाचरणं (नपुं०) शुभकार्य में प्रभु स्मरण। मङ्गलाधारः (पुं०) शुभाश्रय। ०कल्याण सूचक। मङ्गलायनं (नपुं०) समृद्धि का मार्ग। मङ्गलावती (स्त्री०) देश नाम। धातकी खण्ड के पूर्वदिशा में
स्थित पूर्वविदेह की रजताचल पर्वत की श्रेणी युक्त देश।
(वीरो०११/२६) मङ्गलाप्लावनं (नपुं०) मङ्गल स्नान। (जयो० १/५८) मङ्गलावासः (पुं०) देवालय, मंदिर, चैत्य। मङ्गलाष्टकं (नपुं०) अष्ट मंगलमय प्रतीक 'मङ्गलानां
शर्मदायकवस्तूनां कलश-भृङ्गार-ध्वजा-दर्पण-छत्र-चामर
तालवृन्त-स्वस्तिाकाधिनानामष्टकम्।' (जयो० २६/५३) मङ्गलीय (वि०) [मङ्गल+छ] सौभाग्यसूचक, शुभगत। मङ्गलोत्तमशरण्यः (नपुं०) उत्तम शरण। सर्वतः प्रथममिष्टिरहतो
देवतास्वपि च देवता यतः। मङ्गलोत्तमशरण्यतां श्रितो देहिनां तदितरोऽतको हितः। (जयो० २/२७) सोऽह्र मङ्गलेषु
उत्तमश्चासौ शरण्य इति मङ्गलोत्तमशरणः। (जयो०वृ०२/२७) मङ्गलोपपदं (नपुं०) कलशशर्मवाट्। (जयोवृ० १२/५१)
मङ्गल्य (वि०) [मङ्गल+यत्] सौभाग्यशाली, कल्याणकारी।
सुखद, कल्याणप्रदायक।
पवित्र, पावन, विशुद्ध। मङ्गल्यः (पुं०) बटवृक्ष, नारिकेलतरु।
०मसूर दाल। मङ्गल्यकः (पुं०) [मंगल्य+कन्] मसूर दाल। मङ्घ (सक०) सजाना।
० अलंकृत करना, विभूषित करना। ठगना, धोखा देना। आरम्भ करना। निन्दा करना। ०प्रस्थान करना।
०प्रयाण करना। मच् (अक०) दुष्ट होना, नीच होना।
घमण्डी होना, अहंकारी होना। मच् (सक०) ठगना, धोखा देना। मचर्चिका (स्त्री०) उत्तम गाय। मच्छः (पुं०) मछली, मत्स्या मज्जन् (पुं०) पौधे का रस, मज्जा। मज्जनं (नपुं०) [मस्+कनिन्] ०स्नान करना, नहाना।
०प्रक्षालन, प्रमार्जन। ०डुबकी लगाना, गोता लगाना। ०डूबना, सराबोर होना।
०दन्तोत्कषण। (जयो० १९/७) मज्जा (स्त्री०) [मस्+अच्+टाप्] वसा, मांस और हड्डियों
के मध्य का रस। मज्जारजस् (नपुं०) गुग्गुल। मज्जारसः (पुं०) वीर्य, शुक्र। मज्जासारः (पुं०) जायफल। । मज्जित (वि०) बुडित, निमग्न। (जयो० ५/६८) मज्झिमनिकायः (पुं०) बौद्ध ग्रंथ। (वीरो० २०/२०) मञ्च् (सक०) ०थामना, रोकना।
जाना। (जयो० २।१५)
अलंकृत करना, सजाना। मञ्चः (पुं०) [मञ्च+घञ्] ०शय्या, आसन, बैठक, सेज।
(दयो० २/९) ०बेदी, मचान, पर्यंक। (जयो० १/४९) उच्चस्थान (सम्य० १००) उच्चासन, सिंहासन, राज्यासन।
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