Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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भङ्गा
७७२
भट्टारक
भङ्गा (स्त्री०) पटसन।
मादक पेय। भांग का घोट। भङ्गिः (स्त्री०) [भञ्ज+इन्] विच्छेद, विभाग, खण्ड, हिस्सा। ०धारा, परम्परा।
आभास, प्रतीति। प्रभाग। ०दांवपेंच, जालसाजी, धोखाधड़ी। भंगिमा, दृष्टि विच्छेद। (जयो०११/६) विभाजन।
छटा जन्म। (जयो०वृ० ११/९) भनिन् (वि०) [भङ्ग इनि] क्षण भंगुर, अस्थायी। शीघ्र
खण्डित होने वाला। भङ्गिमत् (वि०) विभाजित। भङ्गुर (वि०) टूटने योग्य, विभाजित होने योग्य। ०कुटिल,
वक्र, घुमावदार। भज् (सक०) ०भजना, ०कीर्तन करना, गुणगान करना,
स्तुति करना, प्रार्थना करना। (मुनि० ३४) स्पष्ट करना। (सुद० ११६) (जयो० १/९५) पाना-अमी शमीशान कृपां भजन्ति कृपामनुग्रहं भजन्ति प्राप्नुवन्ति। (जयो०वृ० १/८७)
सेवा करना। ०वंदना करना। स्मरण करना, ध्यान देना। (जयो० ६/१११) रटना, घोंटना, थोकना (जयो० १/४८) ०प्राप्त होना, बभाज। (जयो० ५/९) निर्दिष्ट करना, नियत करना। भाग लेना, हिस्सा लेना। ०समर्पण करना। ०अभ्यास करना, अनुगमन करना। ०पालन करना, भोगना।
उपभोग करना, रखना, अनुबन्ध करना। ०अनुभव करना, अधिहत करना।
आराधना करना, सत्कार करना। (सम्य० १००)
०छांटना, चुनना। भजकः (पुं०) [भज्+ण्वुल्] वितरक, बांटने वाला।
०पूजक, अर्चक, प्रार्थक, भक्त, उपासक। भजन (नपुं०) [भज्+ल्युट्] ०बांटना, हिस्सा लेना, विभाजन।
०अर्चन, पूजन, वन्दन।
योग्य, श्रेष्ठ, उचित।
सेवा, आराधना। भजमान (वि०) [भज+शानच्] बांटने वाला, उपभोक्ता।
यथेष्ठ, योग्य, उचित। भङ्ग (सक०) तोड़ना, खण्डित करना।
चुनना, चयन करना। उखाड़ना, उजाड़ना। निराश करना, प्रयल व्यर्थ करना। ०पकड़ना, रोकना, ग्रहण करना। ०हराना, परास्त करना।
उज्ज्वल करना, चमकाना। भञ्जक (वि०) [भन्+ण्वुल] तोड़ने वाला, बांटने वाला।
०खण्डित करने वाला, उखाड़ने वाला। भञ्जनं (नपुं०) [भञ्ज ल्युट्] ०तोड़ना, भग्न करना, खण्ड
करना। कष्ट देना। नाश करना, ध्वंश करना।
०हटाना, भगाना, दूर करना। भञ्जन (वि.) तोड़ने वाला, खण्ड-खण्ड करने वाला, कष्ट
देने वाला। भञ्जनकः (पुं०) दांत टूटना, दांत गिरना। भट (अक०) पालना, पोषण करना।
स्थिर रखना। ०भाड़े पर लेना, मजदूरी लेना।
०बोलना, बातचीत करना। भटः (पुं०) योद्धा, सैनिक, बहादुर, वीर सिपाही। (सुद०१०५)
०भृति भोगी।
०वर्णसंकर। भटसन्मणि (पुं०) नृप, राजा। अधिपति, भूपति।
सेनापति। भटाग्रणी (वि०) योद्धाओं में प्रमुख।
०वीरश्री। (जयो०८/२४) भट्टः (पुं०) [भट्+तन्] विज्ञ, प्रज्ञापुरुष, विद्वान्।
०स्वामी, प्रभु।
०भाट, बन्दीजन। भट्टमीमांसकः (पुं०) मीमांसा मत का विज्ञ पुरुष। (हित०१५) भट्टार (वि०) [भट्ट स्वामित्वमिच्छति] श्रद्धास्पद, पूज्य। भट्टारक (वि०) [भट्टार+कन्] श्रद्धेय, पूज्य।
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