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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बहुतृणं बहुतृणं (नपुं०) अधिक तृण युक्त । बहुत्वच् (पुं०) भोजपत्र, भोजवृक्ष । बहुदक्षिण (वि०) उदार, दानशील, अधिक उपहार देने वाला। बहुदानविधाकारक (वि०) बड़ा दानी (समु० २ / १६ ) बहुदायिन् (वि०) अधिक दानी, उदार, दानशील। बहुदुग्ध (वि०) अधिक दूध पर्याप्त दूध, दूध की प्रचुरता । बहुदोष (वि०) ०दोषों की अधिकता, ० विशाल अवगुण, ० अधिक दोष । ० अपराध युक्त, भयदाई। बहुधन (वि०) अधिक धनवान्, पर्याप्त धन वाला। बहुधा (अव्य० ) [ बहुधाच्]० प्राय: कई तरह से, विविध तरह से। www.kobatirth.org ०बारंबार, भिन्न-भिन्न रूप से (जयो० ३/८) बहुधान्य (वि०) नाना प्रकार के धान्य, विविध अनाज संचय केन्द्र (दयो० १/२) विविध व्रीही । (जयो० ३/८) बहुधान्यगुणार्जन (वि०) नाना प्रकार के धान्य गुणों का उपार्जन । (जयो० ४ / ६७) ० नाना प्रकार के अध्ययन गुण मति में धारण करतेबहुधाऽनेकप्रकारेण अन्येषां विप्रादीनां ये गुणा अध्यापनादयस्तेषामर्जने मतिमुपैति (जयो०० २१ / ६७ ) बहुधान्यराशिः (स्त्री०) अत्यधिक धान्य समूह (सु०१ / २१ ) बहुधावलिधारिणी (वि०) प्रायः झुर्रियों को धारण करने वाली। (जयो० २०/२) बहुधेनुक (वि०) बहुत दूध देने वाली गायों का समूह। बहुनाद: (पुं०) शंख, बहुनिष्कपट (वि०) अधिक सरल, ऋजुता युक्त (समु० ९/३) बहुपत्र (वि०) बहुत पंखों वाला। ० अधिक घोड़ों वाला। ७५८ बहुपत्र (पुं०) प्याज। बहुपत्ररथ (वि०) बहुत से घोड़ों वाला रथ । बहूनि पत्राणि येषां ते रथा वेतसा यत्र तत्। • बहूनि पत्राणि वाहनानि रथाश्च यत्र । (जयो०वृ० १३/७४) बहुपादपः (पुं०) बड़ा वृक्षा बहुपुण्यसत्त्व (वि०) विविध पुण्य से युक्त जीव। (सुद० १/३५) बहुपुष्प: (पुं०) मूंग । ० निम्बतरु, नीम का पेड़ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहुप्रकार (वि०) विविध रूप का, अनेक तरह का । बहुप्रज (वि०) अनेक संतानोत्पत्ति वाला। बहुप्रतिज्ञ (वि०) नाना प्रतिज्ञ वाला । ० विविध पंक्ति वाला। बहुलापाप बहुप्रद (वि०) अधिक उदार, दानशील। बहुप्रयास (वि०) अधिक प्रयास करने वाला। (दयो० ८५) बहुप्रसू (स्त्री० ) अनेक शिशुओं को जन्म देने वाली स्त्री । बहुप्रेयसी (वि०) बहु प्रेमिका वाला •अधिक प्रेमी बहुफल (वि०) अधिक लाभ वाला। बहुफल: (पुं०) कदम्ब वृक्ष । बहुबल: (पुं०) सिंह । बद्धबीजकः (पुं०) अधिक बीजों वाले बहुभव्य (वि०) अत्यन्त सुंदर, अति मनोहर । (जयो० ४ /७) बहुभाषिन् (वि०) मुखरी, वाचाल, अधिक बोलने वाला। बहुमञ्जरी (स्त्री०) तुलसी पादप । बहुमञ्जुलता (स्त्री०) अधिक सुंदर लता (सुद० ३/३३) बहुमतित्व (वि०) तीव्र बुद्धि वाला (भक्ति० ८ ) बहुमलं (नपुं०) सीसा। बहुमान (वि०) आदर करने वाला, सम्मान देने वाला बहुमानं पूजा - सत्कारादिकेन पाठादिकं बहुमानाचारः । (मूला०वृ० ५/७२) ० प्रीतिविशेष, सकलकल्याण | बहुमानाचार: (पुं०) ज्ञानाचार के आठ भेदों में अंतिम भेद ( भक्ति० ८ ) ० समृद्ध, भरा हुआ, पूर्ण । ० संयुक्त, संलग्न | ० यथेष्ठ, पुष्कल, विपुल । बहुलं (नपुं०) विस्तार करना, बढ़ाना, वृद्धि करना । बहुलतर (वि०) अधिकतर, अधिकांशतः 1 बहुलवणं (नपुं०) लवण युक्त भूमि । ( दयो० ८ ) बहुहरि (पुं०) सिंह | For Private and Personal Use Only बहुलरहित (वि०) अत्यधिक हरयाली युक्त । ०बहुत हरि भक्ति वाला (दयो० ९) बहुला ( स्त्री० ) ०गाय । इलायची। ०नील पादप । बहुलापाप (वि०) दुःखपूर्ण, कष्टसहित। (जयो० २३/६६ ) ० यातूनी, वाचाल
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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