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प्रतिष्ठितिः
६९५
प्रतिसेवा
विख्यात, प्रसिद्ध (जयो० २/१०५) कल्प्यतां भविषु | प्रतिसमाधानं (नपुं०) [प्रति सम्+आ+धा+ल्युट्] ०समाधान, भावनोच्छ्रिति स्तावतैव हि पथः प्रतिष्ठितः। (जयो० २/१०५) उपचार, निदान। स्थगित किया गया।
चिकित्सा। उपाय। ०अवस्थित, रखा गया।
प्रतिसमासनं (नपुं०) [प्रति+सम्+आ+अस्+ल्युट्] सामना होना, प्रतिष्ठितिः (स्त्री०) स्थापना (जयो० ३/८)
०एक सा होना, जोड़ी युक्त। मर्यादा। (जयो०१० २/१०५)
मुकाबला करना, विरोध करना, टक्कर लेना। प्रतिसंविद् (स्त्री०) [प्रति सम्+विद्+क्विप्] यथार्थ ज्ञान, | प्रतिसरः (पुं०) [प्रति+स+अच्] ०कलाई। ___ वस्तु स्थिति का ज्ञान।
०अनुचर, भृत्य, सेवक। प्रतिसंहारः (पुं०) [प्रति+सम्+ह+घञ्] ०पीछे ले जाना, ०करकंकण। वापिस हटाना।
प्रतिसम्मति (स्त्री०) समर्थक। (जयो० २३/४४) अल्पता, संपीडन।
प्रतिसर्गः (पुं०) [प्रति+सृज्+घञ्] ०गौण रचना ०धारणा शक्ति, समावेश।
पूर्ति-'त्रिवर्गप्रतिसर्गोधर्मार्थकाम-निर्माणमपिकृतम्' परित्यक्त करना, छोड़ना।
(जयो०वृ० १२/८५) प्रतिसंहृत (भू०क०कृ०) [प्रति+सम्+ह+क्त] वापिस लिया
विघटन, प्रलय। हुआ, पीछे खींचा हुआ।
प्रथम इकाई, अध्याय का प्रथम अंश, प्रारम्भिक अंश। सम्मिलित करना, अंतर्गत करना, मिलाना।
प्रतिसांधानिकः (पुं०) [प्रतिसंधान+ठक] ०भाट, चारण। ०संपीडित।
०बंदी। प्रतिसंक्रमः (पुं०) [प्रति सम्+क्रम्+घञ्] प्रति चलायमान
प्रतिसारः (पुं०) [प्रति+सृ+घञ्] समारम्भ। (जयो० १०/१) ____०परछाई, प्रतिबिम्ब, प्रतिच्छाया।
प्रतिसारणं (नपुं०) [प्रति+सृ+णिच्+ ल्युट्] घाव भरने का प्रतिसंख्या (स्त्री०) [प्रति+सम्+ख्या+अ+टाप्]
__उपक्रम, मल्हम पट्टी करना। ०चेतना, जागृति।
प्रतिसारी (स्त्री०) प्रतिसारीबुद्धि, ऋद्धि विशेष, जिससे गुरु के प्रतिसंचरः (पुं०) [प्रति+सम्+च+ट] ०पीछे मुड़ना,
किसी भी बीजपद को ग्रहण करने की ऋद्धि। अनुसरण करना।
प्रतिसीरा (स्त्री०) [प्रति+सि+न+टाप] ०परदा, कनात, चिक। प्रतिसंदेशः (पुं०) [प्रति+सम्+दिश्+घञ्] ०प्रत्युत्तर, उत्तरित
आवरण। जवनिका, ०चूंघट। करना।
प्रतिसूर्यगमनं (नपुं०) कायक्लेश की अवस्था, सूर्याभिमुख संदेश का संदेश देना।
हो कर तप करना। आदित्याभिमुखां गमनम्। प्रतिसंधानं (नपुं०) [प्रति+सम्+ध्या+ल्युट] एकत्रित होना,
(भ०आ०टी० २२२) एक स्थान पर मिलना।
प्रतिसृष्ट (भू०क०कृ०) [प्रति-सृज्+क्त] ०प्रेषित, भेजा गया। ०उपाय, उपचार।
०अग्रसर किया गया। आत्मनियंत्रण, आत्मदमन।
प्रसिद्ध, विख्यात, पुनर्रचना। प्रशंसा। समाधान, प्रत्युत्तर।
अस्वीकृत। प्रतिसंधि (स्त्री०) [प्रति+सम्+धा+कि] पुनर्मिलन।
प्रतिसेवना (स्त्री०) इन्द्रिय विषयों के प्रति अनुराग, मुनिधर्म ०संक्रमण काल।
पालन के समय में भी अनुराग। विराम, उपरम।
प्रतिसेवनाकुशीलः (पुं०) इन्द्रियों के विषयों में आसक्ति, प्रतिसत्ता (स्त्री०) सत्ता युक्त।
अनासक्त होकर भी उत्तरगुणों की विराधना। प्रतिसमर्थ (वि०) समर्थन करने वाला। 'प्रतिसमर्थयता,
प्रतिसेवनानुमतिः (स्त्री०) किए गए पाप की प्रशंसा करना। निजलक्षणामितिनिशम्य स बुद्धि विचक्षणः।
प्रतिसेवा (स्त्री०) सेवा के प्रति सेवा। (समु० १/३६)
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