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प्रमद्वर
७१२
प्रमाणित
प्रमद्वर (वि०) [प्र+म+ष्वरच्] असावधान, लापरवाह, अनवधान। प्रमनस् (वि०) [प्रकृष्टं मनो यस्य) हर्षयुक्त, प्रसन्नचित्त,
आनन्दित। प्रमन्यता (वि०) मान लिया जाता। (सुद० ११९) प्रमन्यु (वि०) [प्रकृष्टो मन्यु यस्य] क्रोधाविष्ट, चिड़चिड़ा
हुआ।
कष्ट जन्य, शोकाकुलित। प्रमयः (पुं०) [प्र+मी+अच्] ०मरण, विनाश, मृत्यु।
निधन, ०बंध हत्या। प्रमर्दनं (नपुं०) [प्र+मृद्+ल्युट्] मसल डालना, कुचलना,
मीड़ना, मर्दन करना।
नष्ट करना, समाप्त करना। प्रमर्दनः (पुं०) विष्णु। प्रमा (स्त्री०) [प्र+मा+अङ्टाप्] ०प्रतिबोध, प्रबोध।
०प्रत्यक्षज्ञान।
०सही बोध, यथार्थज्ञान, सही जानकारी। प्रमाण (सक०) प्रमाण मानना, साक्ष्य देना। प्रमाणयतु
(सुद०४/४१) प्रमाणं (नपुं०) [प्र+मा+ल्युट] ०माप, पैमाना, मान, मानक।
०परिमाण, सीमा, आकार, विस्तार। ०साक्ष्य, शहादत। सत्य ज्ञान, यथार्थ ज्ञान। दार्शनिक तत्त्व को निरीक्षण करने का यथार्थ कारण। वस्तु का सम्पूर्ण ज्ञान, पूर्ण परीक्षण।
सम्यक् अर्थ का निर्णय। 'सम्यगर्थनिर्णयः प्रमाणम्' (प्रमाण स्त्री० १/२) ०स्व-पर का प्रकाशक ज्ञान, 'स्व-पर-व्यवसायिज्ञानं प्रमाणम्'
संशय, अनध्यवसाय आदि से रहित अर्थ की वास्तविक प्रतीति। निबोध-बोध-विशिष्टः आत्मा प्रमाणम्। (धव० ९/१४१)
०प्रमाण पदार्थ के पूरे हिस्से को ग्रहण करता है। प्रमाणकला (स्त्री०) प्रमाण विचारक सौगत। (दयो० ४१) प्रमाणकालः (पुं०) प्रमाण स्वरूप का काल, पल्योपम, |
सागरोपम, उत्सर्पिणी, अवसर्पिणी, कल्प आदि के भेद से प्रमाणकाल नाना प्रकार का है। जिसके आश्रय से सौ वर्ष और पल्योपम आदि का | परिज्ञान होता है वह प्रमाण स्वरूप काल प्रमाणकाल है।
प्रमाणगम्य (वि०) प्रमाण से जानने योग्य। प्रमाणगव्यूतिः (स्त्री०) दो हजार धनुष प्रमाण माप। प्रमाणज्जनी (वि०) प्रमाण मानने वाला। (सुद० ११५) प्रमाणज्ञ (वि०) प्रमाण पद्धति का जानकार। प्रमाणदुष्ट (वि०) अधिकारी द्वारा स्वीकृत पत्र। प्रमाणदोषः (पुं०) प्रमाण का उल्लंघन करना। प्रमाणपत्रं (नपुं०) आट अक्षरों का एक प्रमाणपद, श्लोक
का एक चरण।
माप का पात्र। प्रमाणपुरुषः (पुं०) निर्णायक, समीक्षक, मध्यस्थ, विवाचक। प्रमाणप्राप्त (वि०) प्रमाण को प्राप्त हुआ। प्रमाणफलं (नपुं०) प्रमाण का साक्षात् परिणाम, स्व-पर का
निश्चयात्मक रूप। प्रमाणयन् (भू०) प्रमाण दिया। (सुद० ४/४१) प्रमाणयोजनं (नपुं०) चार गव्यूति प्रमाण मात्र। प्रमाणभू (वि०) प्रमाण युक्त। (जयो० १२/३७) प्रमाणभूतज्ञानं (नपुं०) निर्णयवेद, विशदीकरणयुक्त ज्ञान
(जयो०१० २/१३७) प्रमाण ज्ञान। प्रमाणवचनं (नपुं०) अधिकृत वाक्य, प्रमाणयुक्त वचन। प्रमाणवाक्यं (नपुं०) अधिकृत वक्तव्य। विशद कथन। प्रमाणशास्त्र (नपुं०) न्यायशास्त्र, तर्कशास्त्र। प्रमाणसप्तभंगी (स्त्री०) अनेकान्तात्मक वस्तु प्रतिपादक पद्धति,
सप्तंगी पद्धति। प्रमाणाङ्गलं (नपुं०) पांच सौ उत्सेधांगुण प्रमाण। एक हजार ___ से गुणित। प्रमाणातिक्रमः (पुं०) प्रमाण का उल्लंघन, परिग्रहप्रमाण का
अतिक्रम/उल्लंघन/सीमातिक्रम। प्रमाणाधिक (वि०) सामान्य से अधिक। प्रामाण से अधिक। प्रमाणान्तरं (नपुं०) प्रमाण की अन्य पद्धति। प्रमाणाभावः (पुं०) प्रमाण का अभाव। प्रमाणाभासः (पुं०) प्रमाण के समान प्रतीत होना, स्व को न
जानकर अन्य मतानुसार गृहीत ज्ञानार्थ या दर्शन की प्रतीति। प्रमाणिपदं (नपुं०) प्रमाणशास्त्र के पद, न्यायशास्त्र के सूत्र।
'प्रमाणं न्यायशास्त्रं तस्य पदानि प्रमाणिपदानि।
(जयो०२२८९) प्रमाणित (वि०) अभीष्ट, अधिकृत, संस्तुत। (जयो० ११/४१)
(जयो० ५/८९)
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