________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पराकरणं
६०७
परार्थः
पराघत, पराजिता आधिक्य, अधिकता। उद्धार, मुक्ति । आघात करना, सामाना करना, सम्मुख होना।
देखना, अवलोकन करना। पराकरणं (नपुं०) एक ओर रखना, तिरस्कार करना, अवहेलना
करना। पराकाष्ठा (वि०) बहुतायत। (जयो० १२/१३२, सुद० १३३) पराक्रमः (पुं०) [परा+क्रम्+घञ्] ०शूरवीरता, बहादुरी, सासह,
शौर्य, शक्तिसम्पन्नता। शीतस्य पश्यामि पराक्रमं जिन (वीरो० ९/१९)
प्रयत्न, कोशिश, उद्योग पराक्रमपरिणतिः (स्त्री०) शरीर शक्ति। (जयो०वृ० १/४०) परागः (पुं०) [परा+गम्+उ] पुष्परज, धूलि। (जयो० ८/२२)
उपराग-विख्यातावुपरागे च पराय इति वि। सुगन्धित चूर्ण।
चन्दन लेप।
०यश, कीर्ति, प्रसिद्धि। परागवत् (वि०) पुष्परज की तरह। (जयो०वृ० २२/४३) परांगवः (पुं०) [परांगं प्रचुर शरीरं वाति प्राप्नोति वा+क]
समुद्र, सागर। पराघातः (पुं०) दूसरे को कष्ट देना, दूसरे का घात करना।
प्रतिघात। 'परत्रास प्रतिघातादिजनकं पराघातनाम' (त०भा०
८/१२) 'परस्याभिभवनं पराघातः' परानाहस्ति पराघातनाम। पराङ्गना (स्त्री०) परस्त्रीगमन, परस्त्री, परस्त्री सेवन का
मन। (वीरो० १८/३५) सप्त व्यसन में एक व्यसन
पराङ्गना गमन। (जयो०वृ० २/१३१) पराङ्गनागमनं (नपुं०) वेश्यादिगमन। (जयो० २/१२५) पराङ्गनात्यागः (पुं०) परस्त्री का त्याग।
मातृवत्-परनारीणां परियागास्त्रिशुद्धितः। स स्यात् पराङ्गनात्यागो गृहिणां शुद्धचेतसाम्।
(जैन०ल.पृ० ६७२) पराङ्गनापरित्याग देखो ऊपर। परांच् (वि०) [परा+अच] परे, दूसरी ओर स्थित। 'जो |
अनुकूल न हो, प्रतिकूल हो। दूरस्थ, बाहर की ओर
निर्देशित। पराङ्मुख (वि०) प्रतिकूल, प्रतिमुख, (मुनि० १) उदासीन,
उपेक्षा करने वाला।
पराचीन (वि०) [पराच्+ख] विमुख, पराङ्मुख,
००अरुचि रखने वाला, चिन्ता न करने वाला, उपेक्षा करने वाला। पराज्ञापालनं (नपुं०) परानुज्ञान, दूसरे को आज्ञा शिरोधार्य
करना। (जयो० ७/३) पराजयः (पुं०) [परा+जि+अच्] विजय, परास्त करना, जीतना,
आधीन करना। (जयो० १२/३८) ०वादी या प्रतिवादी को अपने पक्षी की सिद्धि न कर पाना। ०हार, असफलता। ०असिद्धि, पराजय। ०पदच्युति, वंचना।
परित्याग। पराजित (भू०क०कृ०) [परा जि+क्त] जीता हुआ, वश में
किया हुआ, (दयो० २०) हराया हुआ। परात्मा (पुं०) परमात्मा। पराधिष्ठित (वि०) दूसरे पर अधिकार करने वाला, पर
वस्तु पर अधिकार। (वीरो० १६/२१) पराधिष्ठितस्यापहारः (पुं०) दूसरे की वस्तु का अपहरण। पराधीन (वि०) दूसरे के आधीन। (सम्य०८४) पश्चेन्द्रियपराधीनः
पुमाँस्तत्र किमुच्यताम्। परतन्त्र (जयो०१९/९१)
(सुद०१२७) परानपेक्ष (वि०) अन्य रूप से निरपेक्षा (भक्ति० ४) परानवकाङ्क्षक्रिया (स्त्री०) अनादर को प्राप्त होकर भी दूसरे
को भी नहीं चाहना। परानसा (स्त्री०) [परा+अन्+अस्+टाप्] औषधीय चिकित्सा। परापेक्षिता (वि०) दूसरे की अपेक्षा करने वाला। (वीरो०१०/२९) परापेक्षी (वि०) पराधीन, दूसरे की सहायता का इच्छुक। परापराब्धि (पुं०) पूर्वापर समुद्र (जयो० ८/१) परश्चाऽपरश्च
परापरौ यौ अब्धौ समुद्रौ किल। (जयो०वृ०८/१) परानुज्ञानं (नपुं०) पराज्ञापालन। (जयो० ७/३) परान्तरङ्गः (पुं०) आश्चर्य से व्याप्त अन्तरङ्ग। (वीरो० १३/२७) परापर (वि०) आगे-पीछे। (जयो० २/१४२) (वीरो० ५/१०) पराप्राप्तिः (स्त्री०) शुद्ध आत्म स्वरूप की प्राप्ति, उत्कृष्ट
उपलब्धि, अनुपम प्राप्ति। परायणः (पुं०) तल्लीन, निपुण, पारंगत। परायणायां भुवि
भूपतेः सः। (जयो० १/२५) परायणत्व (वि०) तल्लीनता, निपुणता। (सुद० १०८) परार्थः (पुं०) दूसरे का विरोध दूर करना। (समु० १/२२)
परोपकारी। (जयो० २७/२३) परविप्रतिपत्तिनिराकरण, परोपकार- (वीरो० २/४४)
For Private and Personal Use Only